दिल्ली: शार्प वे न्यूज नेटवर्क
जबरन धर्मांतरण के खिलाफ केंद्र सरकार जल्द ही कानून बनाने के लिए कदम उठाए उठाएगी. आज सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल किया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में निश्चित रूप से किसी व्यक्ति को धोखाधड़ी, धोखे, जबरदस्ती, प्रलोभन या ऐसे अन्य माध्यमों से परिवर्तित करने का अधिकार शामिल नहीं है.
सरकार ने कहा है कि इस मुद्दे की गंभीरता से वह अवगत है. केंद्र ने अपने जवाब में कहा है कि धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार में दूसरे लोगों को धर्मांतरण करने का अधिकार शामिल नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भारत के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि इस अदालत द्वारा निर्धारित सभी तरह के कानून का पालन किया जाए. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि महिलाओं और आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों सहित समाज के कमजोर वर्गों के पोषित अधिकारों की रक्षा के लिए इस तरह के अधिनियम आवश्यक हैं. केंद्र का कहना है कि इस पर अंकुश लगाने के लिए पूर्व से ही 9 राज्यों ने वर्षों से अधिनियम पारित किए हैं. केंद्र सरकार ने कहा कि ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा ऐसे राज्य हैं जहां पहले से ही धर्मांतरण पर कानून है.