राजस्थान में 25 साल बाद राजपूत हुए एकजुट, मंच पर पहली बार मंत्री को भी सियासी भाषण देने से रोका

जयपुर में क्षत्रिय युवक संघ की महारैली

जयपुर : आलोक शर्मा

राजस्थान में 25 साल बाद राजपूत एकजुट हुए तो मंच पर पहली बार मंत्री को भी सियासी भाषण देने से रोक दिया गया. राजस्थान में राजपूतों के सबसे बड़े संगठन क्षत्रिय युवक संघ ने अपनी स्थापना के 75 वीं सालगिरह के अवसर पर आज, बुधवार को जयपुर में एक महारैली की. इस महारैली में सिर्फ राजपूत ही नहींं, बल्कि दूसरी बिरादरी के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और आम लोग भी शामिल हुए. इसमें केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक के कई मंत्री और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के कई प्रचारक भी शामिल हुए. सबसे खास बात ये रही कि पूरे कार्यक्रम में मंत्रियों तक को मंच पर बोलने तो दिया गया, लेकिन सियासी भाषण नहीं देने दिया गया.

जयपुर में हुए इस महारैली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, खाद्य एंव नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप खाचरियावास, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और कांग्रेस के भी कई बड़े नेता शामिल हुए. रैली के मंच पर नेताओं में भले ही चेहरा दिखाने की होड़ थी, लेकिन मंच से कोई भी राजनीतिक बयानबाजी नही करने दिया गया. आपको बता दें कि राजस्थान में भले ही साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, लेकिन राजपूतों का राजनीतिक दबदबा देखते हुए अभी से सभी पार्टियां इनको अपनी ओर करने में जुट गई हैं.

महारैली की खास बातें

जयपुर के भवानी निकेतन परिसर में मंच लेकर रैली स्थल तक क्षत्रिय युवक संघ के स्वयं सेवक अलग ड्रेस में थे. महिलाओं की भीड़ खास राजपूती पोशाक में सजी थी तो युवाओं की भारी भीड़ केसरिया साफा पहने थी. सबसे खास बात ये थी कि भारी भीड़ के बावजूद यहां संघ जैसा अनुशासन था. यह अनुशासन आम लोगों के साथ नेताओं तक में देखी गई. रैली के दौरान हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा हुई जो एक बार फिर से राजपूतों को उनके अपनी शक्ति की याद दिला रहा था.

आखिर राजस्थान में क्षत्रिय युवक संघ इतने खास क्यों है ?

आपको बता दें कि राजनीतिक नजरिए से राजस्थान में राजपूतों का खास महत्व है. आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में 8 फीसदी राजपूत मतदाता हैं, लेकिन 15 फीसदी सीटों पर इनकी निर्णायक भूमिका है और करीब चालीस फीसदी सीटों पर ये असरदार भूमिका में हैं. राजपूत समुदाय के टिकटों का फैसला करने में पिछले दो दशक से क्षत्रिय युवक संघ की निर्णायक भूमिका रही है. यही वजह है कि बीजेपी हो या कांग्रेस कोई भी दल इस संघ को छोड़ना नहीं चाहता है. इतना ही नहीं लोकसभा और विधान सभा में टिकटों के बंटवारे में भी क्षत्रिय युवक संघ की सिफारिश पर ही बीजेपी और कांग्रेस में टिकट दिया जाता है. इतना ही नहीं आरएसएस के साथ क्षत्रिय युवक संघ के हमेशा से नजदीकी संबंध रहे हैं, जिसका भारतीय राजनीति पर खास असर है.

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