भगोड़ों को वापस देश लाने में भारत सरकार की आखिर क्या मुश्किलें हैं ?

न्यूज डेस्क

मेहुल चोकसी, नीरव मोदी, विजय माल्या, ललित मोदी सहित कई ऐसे नाम हैं जिन्हें जांच एजेंसियां देश में लाकर कानूनी कार्यवाही के दायरे में लाना चाहती हैं. लेकिन ये विदेशों के सुरक्षित स्थान में पकड़ से दूर हैं. फिलहाल भारत मे पीएनबी घोटाले में वॉन्टेड हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को डोमिनिका से लाने की कोशिशें आजकल सुर्खियों में हैं. सीबीआई-ईडी जैसी कई एजेंसियों की टीमें डोमिनिका में डेरा डाले हुए हैं. भारत से घोटाले के खुलासे के बाद भागने, एंटीगुआ में शरण लेने, वहां की नागरिकता लेने और अब डोमिनिका में पकड़े जाने के बाद भी उसे वापस लाने के लिए मुश्किल राह बताती है कि दुनिया में कई सेफ हैवेन ऐसे आर्थिक अपराधियों के लिए गढ़ बने हुए हैं और इनपर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी कोई असर नहीं है.

चोकसी और नीरव मोदी केस में पेंच फंसा है ?

साल 2018 के पीएनबी घोटाले के बाद मेहुल चोकसी और नीरव मोदी फरार हो गए. नीरव मोदी ने ब्रिटेन में शरण ली और मार्च 2019 में गिरफ्तारी के बाद से वहां की जेल में है. ब्रिटेन के साथ प्रत्यर्पण संधि होने के बावजूद कभी वहां की अदालत तो कभी गृह विभाग से उसे राहत मिल जाती है. इसी तरह देश से भागने के बाद मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ में हजारों डॉलर के निवेश के नियम का फायदा उठाकर नागरिकता ले ली. अब पड़ोसी देश डोमिनिका में पकड़े जाने के बाद उसे देश लाने की कोशिशें की जा रही हैं. हालांकि एंटीगुआ के साथ प्रत्यर्पण होने के बावजूद उसे लाने में 3 साल में सफलता नहीं मिली है. अब तो मामला डोमिनिका की कोर्ट में है, जिसके साथ भारत का प्रत्यर्पण संधि भी नहीं है.

माल्या पहले ही कर चुके हैं खेल!

इन दोनो से पहले किंगफिशर के मालिक और कभी कारोबार की दुनिया में किंग ऑफ गुड टाइम्स कहे जाने वाले विजय माल्या इस खेल को कर चुके हैं. हजारों करोड़ के लोन गबन के खुलासे से पहले साल 2016 में माल्या ब्रिटेन भाग गया. माल्या के पास ब्रिटेन की नागरिकता भी है. ब्रिटेन की अदालत ने 2018 में माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश दिया, लेकिन वहां की अदालत में एक के बाद एक याचिकाओं के जरिए माल्या अबतक बचता रहा है.

ललित मोदी केस भी वर्षों से लटका है

ऐसी ही कहानी क्रिकेट को आईपीएल जैसे टूर्नामेंट देने वाले ललित मोदी के मामले में हुई. मोदी को देश लाने के लिए भी वर्षों से एजेंसियां कोशिश कर रही हैं. भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपों के बाद 2010 में ललित मोदी ने देश छोड़ दिया था. फिलहाल ललित मोदी ब्रिटेन में है और वापसी की कोशिशें की जा रही हैं.

भारत का 58 देशों से प्रत्यर्पण संधि है

आज विश्व में लगभग 215 देश हैं. जिनमें से भारत का 58 देशों से प्रत्यर्पण संधि है. मतलब इन देशों में अगर कोई वॉन्टेड व्यक्ति पनाह लेता है तो वापस अपने देश में अदला-बदली को लेकर संधि है. मुश्किल ये है कि चीन-पाकिस्तान और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ भी भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है जिस कारण यहां से अपराध कर चुपके से ये आरोपी पड़ोसी देशों के रास्ते निकल जाते हैं और संधि के अभाव में इन्हें लाना संभव नहीं हो पाता है. हालांकि, संधि वाले देशों में भी स्थानीय नियमों और प्रोसेस को लेकर दिक्कतें हैं. लेकिन बाकी देशों के लिए इंटरपोल के जरिए देश की एजेंसियों को जाना होता है. जो ज्यादा से ज्यादा अपने सदस्य देशों को संबंधित व्यक्ति के संबंध में नोटिस भेजकर अलर्ट कर सकता है. सीधी कार्रवाई का किसी और संस्था को कोई अधिकार नहीं है.

लंबी है लिस्ट जिन्हें वापस लाना है

फरवरी 2020 में सरकार ने संसद में कहा था कि 72 ऐसे भारतीय हैं जिनपर आर्थिक अपराध के आरोप हैं और इन्हें विदेशों से लाने की कोशिशें जारी हैं. दो भारतीय विनय मित्तल और सनी कालरा को वापस देश लाया जा सका है. विनय मित्तल को 2018 में इंडोनेशिया से भारत प्रत्यर्पित किया गया, जिसपर 7 बैंकों के 40 करोड़ रुपये के गबन का आरोप है. वहीं सनी कालरा को मार्च 2020 में लाया गया, जिस पीएनबी के 10 करोड़ के लोन के गबन का केस है. अगस्ता केस के सहआरोपी राजीव सक्सेना को कॉरपोरेट लाबिस्ट दीपक तलवार के साथ 2019 में संयुक्त अरब अमीरात से लाया गया. साल 2018 में अगस्ता केस के बिचौलिए ब्रिटिश नागरिक क्रिस्टियन माइकल जेम्स को यूएई से, फ्रॉड और आपराधिक मामलों में आरोपी मोहम्मद याहया को इंडोनेशिया से, वॉन्टेड मंसूर उर्फ फार्रुख टकला को यूएई से, मरिनोइउ मोहम्मद फार्रूख यासीन को बैंक फ्रॉड केस में निकारागुआ से लाया गया. साल 2015 में अंडरवर्ल्ड सरगना छोटा राजन को इंडोनेशिया से और मर्डर केस के आरोपी जगतार सिंह तारा को थाइलैंड से प्रत्यर्पित किया गया.

भारत में इन लोगों को वापस लाना है – विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, नितिन संदेसरा, नीशाल मोदी, ललित मोदी, दीप्ति सी. संदेसरा, संजय कालरा, एस. के. कालरा, आरती कालरा, वर्षा कालरा, उमेश पारेख, कमलेश पारेख, हितेश एन. पटेल, मयूरी पटेल, राजीव गोयल, अल्का गोयल, पुष्पेश बैद, जतिन मेहता, एकलव्य गर्ग, सव्या सेठ, रितेश जैन, नीलेश पारेख, आशीष जोबेनपुतरा, प्रीति आशीष जोबेनपुतरा, आदि.

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