सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को निर्देश: जिनके माता-पिता का COVID-19 की वजह से मौत हुई उन्हें संभालें

दिल्ली: डॉ. निशा सिंह

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि वह उन बच्चों की जिम्मेदारी उठाए जिनके माता-पिता का COVID19 की वजह से मौत हो गई है। कोर्ट ने.कहा कि प्रशासन अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी ले और सुनिश्चित करें कि उनकी बुनियादी ज़रूरतें तुरंत पूरी हों। कोर्ट ने सभी राज्यों और केन्द्र सरकार से इसके आ़कडे मांगे.हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि कोई बच्चा भूखा न रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी जिला अधिकारियों को ऐसे बच्चों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड कल शाम तक करने का आदेश दिया जो मार्च 2020 के बाद से अनाथ हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और और राज्य के वकील को इस मामले में नवीनतम जानकारी मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे बच्चों की अधिकारों की रक्षा और बिना सरकसरी आदेश के भी उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने राज्यों से कहा कि ऐसे आप बच्चों की पीड़ा को समझेंगे और तुरंत स्थिति का समाधान करेंगे

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से मामले में रविवार तक जवाब दाखिल करने को कहा है। आज की सुनवाई के दौरान ASG ऐश्वर्या भाटी ने बताया बालस्वराज नाम का पोर्टल सभी संबंधित जिला अधिकारियों द्वारा संचालित किया जा रहा है और उन्हें ऐसे बच्चों की पहचान के लिए पासवर्ड दिया गया है जो अनाथ बन गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने संबंधित अधिकारियों को ऐसे बच्चों की रक्षा के लिए किए जाने वाले कदमों के बारे में पहले ही निर्देश जारी किए हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता को कोरोना में खो दिया है। एमिकस क्यूरी के गौरव अग्रवाल ने कहा कि NCPCR ने अप्रैल में अवैध रूप से बाल अनाथों को गोद लेने का संज्ञान लिया है, जिनके कि माता-पिता कोवीड की वजह से खत्म हो चुके हैं उन बच्चों के लिए नियम बनाया गया है, वेब पोर्टल पर बच्चों के पुनर्वास के तरीके के बारे में आंकड़ें तैयार करना चहिए, दूसरा बाल न्याय अधिनियम की धारा 14 के तहत ध्यान रखा जाए.

गौरव अग्रवाल ने कहा जुविनाइल जस्टिस समिति के पास एक बच्चे को पालक देखभाल देने का अधिकार है, इसके बारे में केंद्र द्वारा 2016 में नियम पारित किया गया था, अगर 60 दिनों तक परित्याग के बाद कोई देखभाल करने वाला नहीं है तो CARA अधिग्रहण कर लेगा।उत्तर प्रदेश सरकार और महाराष्ट्र सरकार ने बताया कि ऐसे बच्चों की पहचान के लिए डिस्ट्रिक टास्क फोर्स बनाई गई है

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