राजनीतिक संवाददाता
बंगाल का चुनाव परिणाम का असर दिखने लगा है। मोदी सरकार में हाशिये में गए यशवंत सिन्हा के भाग्य अब फिर बदल रहा है। बीजेपी के कट्टर विरोधी बने यशवंत अब ममता बनर्जी के नए सारथी हैं। बंगाल विधान सभा चुनाव में यशवंत ममता के साथ खड़े रहे। अब टीएमसी जब सत्ता में फिर लौटी तो यशवंत सिन्हा के दिन भी फिर गया है। ममता बनर्जी हर दिन नए फैसले ले रही हैं। अब ताजा खबर ये है कि तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर अब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री व तृणमूल नेता यशवंत सिन्हा को राज्यसभा में भेजने की तैयारी चल रही है।
सूत्रों के अनुसार राज्यसभा की खाली सीटों के लिए प्रशांत किशोर और यशवंत सिन्हा के बारे में तृणमूल कांग्रेस में चर्चा तेजी चल रही है। दिनेश त्रिवेदी के विधानसभा चुनाव से पहले इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी सीट खाली हो गई है। इसके अलावा राज्यसभा सदस्य मानस भुइयां के विधानसभा में चुने जाने के बाद उनकी सीट भी खाली हो गई है। टीएमसी को राज्यसभा में अपनी इन दोनों सीटों पर किसी को भेजना होगा।
माना जाता है कि प्रशांत किशोर की विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को शानदार जीत दिलाने में अहम भूमिका रही है। हालांकि प्रशांत किशोर ने बंगाल विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद चुनाव प्रबंधन के कार्य से संन्यास लेने की घोषणा की है। पार्टी के एक सूत्र के अनुसार सक्रिय राजनीति में प्रशांत की रुचि हमेशा रही है। वे कुछ समय के लिए नीतीश कुमार के जदयू में शीर्ष पर थे। तृणमूल की युवा पीढ़ी के चेहरे अभिषेक बनर्जी के साथ उनका अच्छा तालमेल है। हालाकी प्रशांत किशोर की टीम ने तृणमूल कांग्रेस की ओर से पीके को राज्यसभा भेजने की खबर का खंडन किया है।
उसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के साथ ममता का रिश्ता बहुत पुराना है। सिन्हा भी अब भाजपा के साथ अपने झगड़े के कारण पीएम मोदी के कट्टर विरोधी हैं। पिछले लोकसभा चुनावों से ममता-यशवंत के संबंध अच्छे रहे हैं। वह दो साल पहले ब्रिगेड में ममता की बैठक में भी मौजूद थे। वह इस बार विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल में शामिल हो गए और कोलकाता से तृणमूल प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं।