पंजाब से यूपी जेल में जल्द मुख्तार अंसारी शिफ्ट होंगे : एंबुलेंस के इस्तेमाल पर यूपी में कार्रवाई शुरू

लखनऊ : विक्रम राव

पंजाब की रोपड़ जेल में बंद उत्तर प्रदेश का माफिया और बसपा विधायक मुख्तार अंसारी द्वारा इस्तेमाल की जा रही एंबुलेंस मामले में कार्रवाई शुरू हो गई है. विधायक मुख्तार अंसारी को 31 मार्च को मोहाली की एक अदालत में पेश किया गया था. इस दौरान मुख्तार अंसारी व्हील चेयर पर नजर आए. मुख्तार अंसारी को जल्द ही पंजाब की जेल से उत्तर प्रदेश लाया जाएगा. इस बीच मुख्तार अंसारी की पत्नी ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर फेक एनकाउंटर की आशंका जताई है. परिजनों को शंका है कि कानपुर के विकास दुबे एनकाउंटर की तरह मुख्तार अंसारी का फेक एनकाउंटर किया जा सकता है. मोहाली की एक अदालत में 2019 की कथित जबरन वसूली के मामले में अब अगली सुनवाई की तारीख 12 अप्रैल तय की है.

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब से यूपी जेल में ट्रांसफर का दिया है निर्देश

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को अंसारी की हिरासत उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंपने का निर्देश दिया था. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि अभियुक्त हो या विचाराधीन कैदी, जो कानून का उल्लंघन करता है, एक जेल से दूसरी जेल में भेजे जाने का विरोध नहीं कर सकता और जब किसी दंड के भय के बिना कानून को चुनौती दी जा रही हो तब अदालतें असहाय नहीं हो सकती हैं.

मुख्तार से संबंधित मुकदमे की सुनवाई प्रयागराज के एमपी-एमएए कोर्ट में चल रही है. इस बीच राज्यसभा सांसद एवं प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने कहा है कि मुख्तार अंसारी लंबे समय से निजी एंबुलेंस का प्रयोग कर रहा है. यह एंबुलेंस उसका सुरक्षित किला है, जिसे उसके हथियारबंद गुर्गे चलाते हैं. माना जाता है कि यूपी आने के बाद मुख्तार को बांदा जेल में रखा जाएगा. मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर के मामले में मऊ कोर्ट ने 13 अप्रैल को तलब किया है. शस्त्र के मामले में गुरुवार को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये मुख्तार की कोर्ट में पेशी भी हुई, जिसमें अगली तिथि 8 अप्रैल को निर्धारित की गई है.

एंबुलेंस का इस्तेमाल पर यूपी में कार्रवाई शुरू

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के एसपी निर्देश पर एंबुलेंस के इस्तेमाल करने के मामले में बाराबंकी की नगर कोतवाली में धोखाधड़ी समेत दूसरी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. धारा 420, 419, 467, 468 समेत कई धाराओं में केस दर्ज हो गया है. बता दें पंजाब के मोहाली कोर्ट में पेशी के दौरान उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी की एंबुलेंस नजर आई तभी से मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं. मुख्तार 2013 से ही इस एंबुलेंस का इस्तेमाल कर रहा है. अलका राय के अस्पताल के नाम से 2013 में ही इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन हुआ. गाड़ी का पैसा भी मुख्तार ने दिया था. बाद में कागज को ट्रांसफर कराने की बात थी, लेकिन ट्रांसफर अभी तक नहीं हुआ है. माना जाता है कि एंबुलेंस बुलेटप्रूफ़ है, जिसे आम तौर पर मुख़्तार के लोग ही चलाते हैं.

बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी बारे में जानिए

मऊ जिले के सदर विधानसभा के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पहली बार बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत विधानसभा पहुँचे थे. मुख्तार अंसारी ने अपना पहला विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट से 1996 में लड़ा और जीत हासिल की थी. यहीं से मुख्तार अंसारी के राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई, लेकिन फिर अंसारी पार्टी छोड़ कर सपा में शामिल हुए. 2007 में अंसारी बसपा में फिर शामिल हो गए और 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. इसके बाद बसपा ने 2010 में उन्हें आपराधिक गतिविधियों के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया था. बाद में उन्होंने अपने भाइयों के साथ अपनी पार्टी कौमी एकता दल का गठन किया. 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए. 2017 में बसपा के साथ कौमी एकता दल को विलय कर दिया, और बसपा उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव में पांचवीं बार विधायक के रूप में जीते.

अपनों को भी नहीं छोड़ता है मुख्तार अन्सारी

बता दें कि मन्ना सिंह ने मुख्तार अन्सारी के लिए मऊ जिले में राजनीतिक जमीन को तैयार करने में सबसे बडी भूमिका निभाई थी तो मुख्तार अन्सारी ने भी मन्ना सिंह के ठेकेदारी को चमकाने के लिए अपने बाहुबल और राजनीतिक रसूख का खूब इस्तेमाल भी किया था. फिर अचानक दोनों के बीच तनाव हो गया. दरअसल अपने इलाके के इस दबंग अंसारी को अपने साम्राज्य में किसी भी प्रकार की दखलंदाजी पसन्द नहीं है. मुख्तार अन्सारी का काम कोयले की ढुलाई रेट तय करना, रेलवे व पब्लिक वर्क्स के ठेके मछली के रेट तय करना, टैक्सी स्टैण्डो और मोबाइल टावरों पर डीजल सप्पलाई जैसे ठेके शामिल है. मन्ना सिंह के परिवार वालों को पता था की मन्ना सिंह मुख्तार अन्सारी से अलग होना चाहते थे. मुख्तार से ये बेरुखी मन्ना सिंह पर भारी पड़ी. ठीक एक साल बाद 29 अगस्त 2010 को मन्ना सिंह मर्डर केस मामले में एक गवाह रामसिंह की मौर्य की हत्या से पूरे इलाके मे सनसनी फैला दी. मुख्तार अन्सारी पर गवाहों के खत्म करने का आरोप लगता रहा. आज भी मन्ना सिंह का पूरा परिवार खौफ के साये में जीता है. हाइकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार की ओर से परिवार को सुरक्षा मुहैय्या करायी गयी है.

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