डॉ. निशा सिंह
लिव इन रिलेशनशिप को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने कहा है कि शादीशुदा लोगों का दूसरे के साथ संबंध रखना अपराध है और ऐसे अवैध संबंध को संरक्षण का आदेश देना अपराध को संरक्षण देने जैसा है. जस्टिस एस पी केशरवानी और जस्टिस डॉ वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है. कानूनी तौर पर जो लोग विवाह नहीं कर सकते उनका लिव इन रिलेशनशिप में रहना गलत है. एक से अधिक पति या पत्नी के साथ संबंध रखना भी अपराध है.
अगर शादीशुदा महिला दूसरे पुरूष के साथ पति पत्नी की तरह रहती है तो इसे लिव इन रिलेशनशिप नहीं माना जा सकता है और जिस पुरूष के साथ महिला रह रही है वह आईपीसी की धारा 494/495 के अंतर्गत अपराधी है. ऐसे अपराध करनेवाले पुरूष को भारतीय कानून के तहत सजा दिया जा सकता है.
कोर्ट ने यह फैसला हाथरस, ससनी थाना क्षेत्र की निवासी आशा देवी व अरविन्द के केस में दिया है. कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. याची आशा देवी महेश चंद्र की विवाहिता पत्नी है और दोनों के बीच तलाक नहीं हुआ है, लेकिन याची अपने पति से अलग दूसरे पुरूष के साथ पति पत्नी की तरह रहती है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह लिव इन रिलेशनशिप नहीं है, वरन दुराचार का अपराध है. याचिका में पति के परिवार वालों से सुरक्षा प्रदान की मांग की गई थी, लेकिन कोर्ट ने केस खारिज कर दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि शादीशुदा महिला के साथ धर्म परिवर्तन कर लिव इन रिलेशनशिप मे रहना भी अपराध है, जिसके लिए अवैध संबंध बनाने वाला पुरूष अपराधी है.
अपने फैसले में कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे संबंध वैधानिक नहीं माने जा सकते हैं, जो कानूनी तौर पर विवाह नहीं कर सकते उनका लिव इन रिलेशनशिप में रहना गलत है. एक से अधिक पति या पत्नी के साथ संबंध रखना भी अपराध है और ऐसे लिव इन रिलेशनशिप को शादीशुदा जीवन नहीं माना जा सकता है और ऐसे लोगो को कोर्ट से संरक्षण नही दिया जा सकता है.