विक्रम राव
उत्तर प्रदेश की 12 विधान परिषद सदस्य सीटों पर चुनाव की अधिसूचना निर्वाचन आयोग ने आज जारी कर दी है. एमएलसी की इन सीटों के लिए 11 जनवरी से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होकर 18 जनवरी तक चलेगी. 19 जनवरी को नामांकन पत्रों की जांच और 21 जनवरी को नाम वापसी होगी, जबकि मतदान 28 जनवरी को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक होगा, उसी दिन शाम पांच बजे से मतगणना भी शुरू हो जाएगी. मौजूदा विधायकों की संख्या के आधार पर बीजेपी की 12 में से 10 सीटों पर जीत की संभावना है.
उत्तर प्रदेश की विधान परिषद की ये 12 सीटें 30 जनवरी को खाली हो रही हैं. इनमें से समाजवादी पार्टी (सपा) के पास छह सीटें हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी के पास तीन, बहुजन समाज पार्टी के पास दो सीटें हैं. इसके अलावा एक नसीमुद्दीन सिद्दीकी की सीट खाली है. इन 12 सीटों में से बीजेपी 10 सीटें अपने नाम कर सकती है.
उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, यूपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और राज्य के बीजेपी उपाध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य का कार्यकाल 30 जनवरी को पूरा हो रहा है. उच्च सदन की एक सीट के लिए वोट काउंट 32 होगा और 309 विधायकों के साथ बीजेपी आसानी से 9 सदस्यों को भेज सकती है. इसके बाद भी बीजेपी के पास 21 वोट बचे रह जाएंगे.
9 विधायकों वाले अपना दल की मदद से बीजेपी अपना 10वें उम्मीदवार को भी उच्च सदन भेज सकती है. वहीं, सपा के खाते में एक सीट पक्की है जबकि बसपा का एक सीट पर भी चुनाव जीतन मुश्किल है. कांग्रेस, सपा, निर्दलीय और ओम प्रकाश राजभर मिलकर भी एक सीट जीत सकते हैं.
स्वतंत्र देव सिंह और दिनेश शर्मा को उच्च सदन में फिर से नामित किया जा सकता है जबकि शेष छह सीटों के लिए दौड़ जोर पकड़ रही है. समाजवादी पार्टी, जिसके पास केवल 49 विधायक हैं, वह परिषद में 14 वोट शेष रहते हुए एक सीट को आसानी से बरकरार रख सकती है. 30 जनवरी को सेवानिवृत्त होने वाले छह सपा विधान परिषद सदस्यों (एमएलसी) में अहमद हसन, आशु मलिक, रमेश यादव, राम जाटान राजभर, वीरेंद्र सिंह और साहेब सिंह सैनी शामिल हैं.
बसपा के प्रदीप जाटव और धर्मवीर सिंह अशोक भी विधान परिषद में अपना छह साल का कार्यकाल पूरा करेंगे. हालांकि बसपा के पास महज दस सदस्य ही बचे हैं और जब तक उसे अन्य विपक्षी या बीजेपी का समर्थन नहीं मिलेगा, तब तक उच्च सदन में बसपा का एक भी सदस्य नहीं जा पाएगा. ऐसे में देखना होगा कि बसपा क्या स्टैंड लेती है. हालांकि, राज्यसभा चुनाव के दौरान बसपा के कई विधायक बागी रुख अपना लिए थे और सपा के समर्थन में खड़े थे. ऐसे देखना होगा कि मायावती क्या स्टैंड लेती हैं.