कोलकाता : विशेष संवाददाता
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा आज कोलकाता पहुंचकर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. उन्होंने टीएमसी का झंडा लहराते हुए ममता बनर्जी की पार्टी का हाथ थाम लिया. यशवंत काफी दिनों से बीजेपी से नाराज चल रहे थे और कई मौकों पर बीजेपी की आलोचना कर चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्तमान सरकार के खिलाफ लगातार आवाज उठाने वाले यशवंत सिन्हा अब ममता बनर्जी के नए सारथी बने हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से यशवंत सिन्हा बीजेपी से नाराज़ चल रहे थे. इसी नाराज़गी के दौरान उन्होंने पार्टी भी छोड़ दी थी. यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा अब भी बीजेपी में हैं और वे झारखंड के हजारीबाग लोकसभा सीट से सांसद हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वे मंत्री भी बनाए गए थे.
राजनितिक पंडितों का मानना है कि अगर ममता की सरकार वापसी करती है तो टीएमसी यशवंत सिन्हा को राज्यसभा में भेज सकती है जहाँ पर सिन्हा मोदी सरकार के नीतियों पर हमला कर सकते हैं.
सिन्हा ने कहा कि देश दोराहे पर खड़ा है. हम जिन मूल्यों पर भरोसा करते हैं, वे ख़तरे में हैं. न्यायपालिका समेत सभी संस्थानों को कमज़ोर किया जा रहा है. यह पूरे देश के लिए एक अहम लड़ाई है. यह कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है बल्कि लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पिछले साल जनवरी महीने में गांधी शांति यात्रा लेकर लखनऊ पहुंचे देश के पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा था कि यह कानून पूरी तरह असंवैधानिक है. यह सिर्फ समाज को बांटने और समाज में आग लगाने के लिए लाया गया है. इसके अलावा इसका कोई मकसद नहीं है. टीएमसी इस भी मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रही है.
कोलकाता में आज टीएमसी में शामिल होने के बाद यशवंत सिन्हा ने मीडिया से कहा कि प्रजातंत्र की ताकत प्रजातंत्र की संस्थाएं होती हैं. आज लगभग हर संस्था कमजोर हो गई है, उसमें देश की न्यायपालिका भी शामिल है. हमारे देश के लिए ये सबसे बड़ा खतरा पैदा हो गया है. अटल जी के समय में बीजेपी सर्वसम्मति पर विश्वास करती थी, लेकिन आज मोदी की सरकार विपक्षी सरकर को कुचलने और जीतने में विश्वास करती है. अकाली दल, बीजेडी, शिवसेना पहले ही बीजेपी का साथ छोड़ चुकी है. सिन्हा ने कहा कि देखिये आज बीजेपी के साथ कौन खड़ा है ?
सिन्हा ने कहा, मुझे इसमें कोई शक नहीं लगता है कि तृणमूल कांग्रेस बहुत बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापस आ रही है. बंगाल से पूरे देश में एक संदेश जाना चाहिए कि जो कुछ मोदी और शाह दिल्ली से चला रहे हैं, अब देश उसको बर्दाश्त नहीं करेगा. मैं बहुत अफसोस के साथ कह रहा हूं कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र संस्था नहीं रही है. तोड़-मरोड़ कर चुनाव (8 चरणों में मतदान) कराने का फैसला मोदी-शाह के दबाब में लिया गया है और बीजेपी को फायदा पहुंचाने के ख्याल से लिया गया है. तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि हम अपनी पार्टी में यशवंत सिन्हा का स्वागत करते हैं. उनकी हिस्सेदारी से चुनाव में बीजेपी के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत होगी. सिन्हा ने साल 1990 में चंद्रशेखर की सरकार में वित्तमंत्री की जिम्मेदारी निभाई थी और इसके बाद वाजपेयी मंत्रिमंडल भी उन्हें इस मंत्रालय का कार्यभार मिला था. उन्होंने वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई थी.
बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं. पिछले चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने सबसे ज्यादा 211 सीटें, कांग्रेस ने 44, लेफ्ट ने 26 और बीजेपी ने मात्र तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी. अन्य ने दस सीटों पर जीत हासिल की थी. यहां बहुमत के लिए 148 सीटें चाहिए. बंगाल की 294 सीटों पर 8 चरणों में मतदान कराया जाना है. पहले चरण का मतदान 27 मार्च को होगा. इसके बाद 1 अप्रैल को दूसरे चरण, 6 अप्रैल को तीसरे चरण, 10 अप्रैल को चौथे चरण, 17 अप्रैल को पांचवे चरण, 22 अप्रैल को छठे चरण, 26 अप्रैल को सातवें चरण, 29 अप्रैल को आखिरी चरण में वोटिंग होगी. फिर दो मई को वोटों की गिनती होगी.