दिल्ली: डॉ. निशा सिंह
दिल्ली के जंतर-मंतर पर विश्व चैंपियन भारतीय पहलवानों का धरना आज दूसरे दिन भी जारी है. विनेश फोगाट समेत 30 पहलवानों की मांग है कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण सिंह को हटाया जाए, क्योंकि वो खिलाडियों के साथ मनमानी और यौन शोषण करते हैं. खेल मंत्रालय ने बृजभूषण सिंह को जवाब देने के लिए कल 72 घंटे का समय दिया है.
विदेशों में भारत का शान बढ़ाने वाले भारतीय पहलवानों को इस ठंढ में अपना प्रैक्टिस करने के बजाय दिल्ली की सड़कों पर बैठना पड़ रहा है. आज उनके धरने का दूसरा दिन है, खिलाडियों का कहना है कि जबतक उनकी मांगे नहीं मानी जाएंगी, वो धरने पर बैठे रहेंगे. विपक्ष के जयराम रमेश ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा के शासन में बेटियों का यही विकास हो रहा है. इधर दिल्ली महिला आयोग भी इन खिलाडियों के साथ है, तो उधर धरने में शामिल बजरंग पूनिया ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह विदेश भाग सकते हैं, क्योंकि बृजभूषण सिंह पर विनेश फोगाट ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
विनेश फोगाट समेत अन्य पहलवानों की मांग है कि कुश्ती महासंघ अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर को हटाया जाए. विनेश फोगाट ने दावा किया कि लखनऊ के राष्ट्रीय शिविर में कई कोच ने महिला पहलवानों का यौन शोषण किया है. हालांकि, उन्होंने ये साफ किया कि उन्होंने इस तरह के शोषण का सामना नहीं किया है.
बृज भूषण शरण सिंह पहली बार 2011 में भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनाए गए थे और तीन बार से लगातार निर्विरोध इस पद पर बने हुए हैं, लेकिन आज ऐसे हालात हैं कि संघ और खिलाड़ी आमने-सामने हैं. इधर बृज भूषण शरण सिंह ने दावा किया है कि 97 प्रतिशत खिलाड़ी उनके साथ हैं और उन पर लगा आरोप अगर सही हुआ तो वो खुद ही फांसी लगा लेंगे.
विवाद के पीछे आखिर कारण क्या हैं?
खिलाड़ियों का आरोप है कि बृज भूषण शरण सिंह मनमाने तरीके से संघ चला रहे हैं. पहलवानों के साथ उनके कोच को नहीं भेजा जाता और विरोध करने पर उन्हें धमकाया जाता है. विनेश फोगाट ने तो उन पर कई लड़कियों और महिला कोच के यौन शोषण का भी आरोप लगाया है. इन आरोपों को नकारते हुए बृज भूषण शरण सिंह का कहना है कि नए नियमों के आते ही विरोध होने लगा.
खिलाडियों और संघ के बीच वर्चस्व की लड़ाई
खिलाडियों और संघ के बीच वर्चस्व की लड़ाई चलती रहती है. पहले भी पहलवान संघ पर मनमानी के आरोप लगा चुके हैं, लेकिन इस बार संघ और अध्यक्ष के खिलाफ विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया जैसे ओलंपियन और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी खड़े हैं. खिलाड़ी संघ अध्यक्ष पर मनमानी का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन सिंह का कहना है कि खिलाड़ी अपनी मनमर्जी चाहते हैं, इससे साफ है कि यह वर्चस्व की लड़ाई है.
ओलंपिक में कोटा पर टकराव
ओलंपिक में कोटा को लेकर भी संघ और खिलाड़ियों के बीच विवाद है. नियम के मुताबिक ओलंपिक क्वालीफाई करने के बाद कोटा खिलाड़ी का पर्सनल नहीं होगा, बल्कि देश का होगा. ओलंपिक में भेजने से पहले खिलाड़ी का ट्रायल होगा और जो इसमें जीतेगा, वो कोटा वाले खिलाड़ी से भिड़ेगा. इसके अलावा कोटा वाले खिलाड़ी के हारने पर उसे 15 दिन में दूसरा मौका दिया जाएगा. इसका मतलब है कि कोटा लाने से जगह पक्की नहीं होगी, इसका विरोध खिलाड़ी कर रहे हैं.
स्पॉन्सरशिप पर टकराव
खिलाड़ियों को विभिन्न कंपनियों की ओर से स्पॉन्शरशिप मिलता रहता है, लेकिन जब कंपनियां खिलाड़ियों को अपने हिसाब से इस्तेमाल करने लगती हैं, तब विवाद होता है. भले ही इससे खिलाड़ियों को परेशानी न भी हो, लेकिन संघ को इस पर आपत्ति है. कुश्ती संघ ने नए नियमों में कहा है कि कोई खिलाड़ी स्पॉन्शरशिप करेगा तो संघ की भी भागीदारी होगी, अब खिलाड़ी इस नियम के खिलाफ हैं.
नेशनल कंपीटिशन में शामिल होने पर टकराव
नए नियमों के अनुसार, खिलाड़ियों को सीनियर नेशनल कंपीटिशन में भाग लेना अनिवार्य किया गया है. नियमों के अनुसार, कैंप में एक वजन वर्ग 4 खिलाड़ी चुने जा सकते हैं. इस कारण कई खिलाड़ी शामिल नहीं किए जा सके, जिस पर खिलाड़ियों को आपत्ति है.
राज्यों को लेकर टकराव
अब संघ चाहता है कि कमजोर राज्यों के पहलवानों को भी बढ़ावा दिया जाए. इसके लिए संघ की ओर से कुछ जरूरी कदम भी उठाए गए हैं, लेकिन इससे हरियाणा के खिलाड़ी नाराज हैं, क्योंकि सबसे ज्यादा पहलवान इसी राज्य से आगे आते हैं.