मुंबई – सोनी किशोर सिंह
सुशांत सिंह राजपूत मौत केस को बिहार चुनावों से पहले राजनीतिक पार्टियों ने खूब उछाला, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आगे बढा, यह मुद्दा गौण होता गया. दरअसल सुशांत के बिहारी होने का फायदा उठाकर राजनीतिक दल चुनावों में वोट पाना चाह रहे थे. बिहार की नीतिश सरकार ने सुशांत सिंह केस में बिहार से पुलिस जांच की टीम भेज दी और सीबीआई जांच की मांग कर दी तो दूसरी तरफ बीजेपी ने भी इसका खूब लाभ लेना चाहा, केन्द्र सरकार ने आनन-फानन में सीबीआई जांच की मंजूरी दे दी. साथ ही बीजेपी ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेन्द्र फडनवीस को बिहार का चुनाव प्रभारी बना दिया, ताकि इस मुद्दे का खूब लाभ मिले.
शिवसेना भी कहां पीछे रहनेवाली थी, पूरे मामले को क्षेत्रीयता से जोड़कर सीबीइआई जांच का विरोध करती रही और अंत में जेडीयू और बीजेपी का खेल बिगाड़ने की नियत से बिहार चुनाव में भी कूद गई, लेकिन इस पूरे मामले में जब दलों को क्षेत्रीयता के आधार पर वोट नहीं मिलता दिखा तो सुशांत सिंह केस परिदृश्य से गायब हो गया.
दरअसल शुूरु से ही सुशांत सिंह केस में सच का पता लगाकर कार्रवाई करने से ज्यादा ध्यान इसका राजनीतिक लाभ लेने पर था. एक बार दुनियां की सबसे बड़ी खलनायिका दिखनेवाली रिया चक्रवर्ती और उसका भाई ड्रग्स तस्करी के लिए जेल के पीछे थे, आज भी रिया का भाई शोविक चक्रवर्ती जेल में ही है, लेकिन रिया जमानत पर जेल से बाहर आ गयी है और कल तो उसने सुशांत की बहनों द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका रद्द करने की भी अपील की. मामला रिया को या किसी और को दोषी और दोषमुक्त करने का नहीं है और न ही मामला किसी पर अंगुली उठाने का है. मामला है कि जब जांच एजेंसियां जांच कर रही थी तो इस पर इतना शोर क्यों मचाया गया और अगर सुशांत के लिए इंसाफ की बात थी तो जांच पूरा होने से पहले ही कंसर्न कहां गायब हो गया.
सुशांत सिंह मौत केस में मीडिया की भूमिका भी खूब रही. सुशांत के गांव (जहां वह शायद ही जाते थे) से लेकर स्कूल तक, घर के कुत्ते से लेकर जिम में एक्सरसाईज करने वाली मशीन तक की सूचना लोगों के खूब परोसी गयी, सो टीआरपी की चाह में सनसनीखेज खबर देनेवाली मीडिया को अब इसमें कम रस दिख रहा है, इसलिए एक ऐसा केस जिसकी सही से जांच होनी चाहिए थी, उलझकर रह गयी है. फिलहाल सीबीआई केस की जांच कर रही है.