दिल्ली: डॉ. निशा सिंह
लोकसभा चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश के एक पूर्व सांसद के धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. धोखाधड़ी के मामले में कोर्ट ने भाजपा के पूर्व सांसद व उत्तरप्रदेश के पूर्व मंत्री पर गैर जमानती वारंट जारी किया है. आरोपी नेता ने गिरफ्तारी से बचने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली है. अब पुलिस किसी भी समय आरोपी नेता को गिरफ्तार कर सकती है.
पूर्व भाजपा सांसद व उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री हरिनारायण राजभर धोखाधड़ी के मामले में फरार हैं. उनपर फर्जी MSME संस्था बनाकर करोडों की ठगी करने का आरोप है. राजभर इन दिनों न्यायालय से गैर ज़मानती वारंट जारी होने के बाद कानून से बचकर फरार है। इनके उपर धोखाधड़ी करके फर्जी MSME कौंसिल का चैयरमेन बनकर काफी लोगों से देश भर में करोड़ों रुपये की ठगी के मामले दर्ज हैं, जिनमें राजभर के साथ इनके पुत्र अटल राजुभर समेत पांच लोगों के खिलाफ धारा 420/400/467/468/471 आई पी सी के तहत बुलंदशहर न्यायालय द्वारा गैर ज़मानती वारंट जारी गया है और न्यायालय द्वारा इनके गृह जिला के जिलाधिकारी व एस एस पी को राजभर को गिरफ्तार कर पेश करने हेतु निर्देशित किया जा चुका है.
आपको बता दें कि एक तरफ राजभर लोकसभा चुनाव में भाजपा से टिकट लेने में लगे हैं तो दूसरी तरफ इनपर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. यह 2020 का मामला है और पिछले दिनों अपने बचाव के लिए हरिनारायण व अटल राजभर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का भी रुख किया था, परन्तु माननीय उच्च न्यायालय ने मामले को अति गंभीर मानते हुए राहत देने से इनकार कर कर दिया तथा बुलंदशहर के एमपी, एमएलए कोर्ट में उन्हें सरेंडर करने का निर्देश दिया. पुलिस द्वारा इनके घर लखनऊ व मऊ में लगातार दबिश दी जा रही है, परन्तु वे हाथ नहीं आ रहे हैं तथा पुलिस से बचाव के लिए अपने उच्च संपर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला ?
भुक्तभोगी धर्मेन्द्र सिंह ने बताया है कि मैंने 2020 में ही बुलंदशहर कोर्ट में याचिका दायर कर फर्जीवाड़ा करने के मामले में आरोपी पूर्व भाजपा सांसद सहित अन्य लोगों पर कानूनी कार्रवाई करने की अपील की थी, जिस मामले में कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. अभी तक ये लोग फरार है. धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि एमएसएमई एक्सपोर्ट प्रमोटल कौंसिल के दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष बनाने के लिए इन लोगों ने 30 लाख रूपये मांगे थे, जिसमें कुल 22 लाख रूपये उन्होंने दे दिया था. इस 22 लाख में से उन्होंने 7 लाख रूपये नकद दिया था और बाकि रूपये लेने का दबाव ये लोग बना रहे थे. इन लोगों ने कहा था कि ये पैसे एमएसएमई के खाते में जमा हो जाएगा. पीड़ित को जब शक हुआ तो वो दिल्ली स्थित एमएसएमई मंत्रालय जाकर कागजों की पड़ताल करवाया तो वहां अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की कोई संस्था मंत्रालय से संबद्ध नहीं है. इसके बाद पीड़ित ने अपने पैसे की वापसी की मांग राजभर से की तो उन लोगों ने जान से मारने की धमकी दी. इसके बाद पीड़ित ने न्यायालय का रूख किया.
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