Waqf Board Bill: वक्फ संशोधन बिल को लेकर जगदंबिका पाल के अध्यक्षता में जेपीसी की अगली बैठक 19 और 20 सितम्बर को होगी

दिल्ली : डॉ. निशा सिंह।

वक्फ संशोधन बिल को लेकर केंद्र सरकार द्वारा गठित जेपीसी की अगली बैठक 19 और 20 सितम्बर को होगी. दरअसल वक्फ बोर्ड अधिनियम में बड़े बदलाव करने को लेकर मोदी सरकार ने प्लान बनाया है.

लोकसभा में इस विधेयक को अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू पेश किया था. पहले विधेयक जरिए वक्फ कानून 1923 को समाप्त करने और दूसरे के माध्यम से वक्फ कानून 1995 में महत्वपूर्ण संशोधन किए जाएंगे. विधेयक पास होने के बाद वक्फ कानून 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 होगा. संसद के शीतकालीन सत्र के पहले हफ्ते में समिति अपनी रिपोर्ट पेश कर देगी। संसद का शीतकालीन सत्र दिसम्बर में होने की संभावना है। संसद का शीतकालीन सत्र आगा2023 में 4 दिसंबर से शुरू 22 दिसंबर तक चला था। बता दें वक्फ संशोधन विधेयक 2024 प्रवर समिति में कुल 31 सदस्य हैं. जिसमें से 5 सदस्य यूपी से हैं. इसमें बीजेपी के 3 और सपा और कांग्रेस के 2 एमपी हैं.

जेपीसी के पास अभी तक आ चुके हैं 84 लाख सुझाव

जेपीसी सूत्रों के मुताबिक QR कोड जेपीसी की तरफ से जारी नहीं किया गया है. जेपीसी ने एक लिंक जारी किया था, जिस पर लोगों से सुझाव मांगा था जिसमें अभी तक 84 लाख सुझाव आ चुके हैं.इसके अलावा लिखित सुझाव 70 बॉक्स के माध्यम से प्राप्त किए हैं.पटना लॉ कॉलेज के चांसलर को बुलाया गया है बैठक में 19 सितम्बर की बैठक में बुलाया गया है। कमेटी की अगली बैठक 26 से एक अक्टूबर तक देश के अलग अलग शहरों में होगी।
आपको बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के 31 सदस्यों में से एक बीजेपी के सांसद जगदंबिका पाल को जेपीसी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.जगदंबिका पाल, उत्तर प्रदेश स्थित सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज सीट से सांसद हैं. वो लगातार चौथी बार के सांसद है. साल 2009 में पहली बार जगदंबिका पाल कांग्रेस से सांसद चुने गए लेकिन 2014 में बीजेपी ज्वाइन की और तीसरी बार सांसद बने.

जानिए वक्फ बोर्ड अधिनियम क्या है के बारे में ? क्या है ताकत ?

वक्फ बोर्ड एक्ट इस्लाम को मानने वालों की प्रॉपर्टी और धार्मिक संस्थानों के मैनेजमेंट और रेगुलेशन के लिए बनाया गया भारत सरकार का कानून है. इस एक्ट का मकसद वक्फ संपत्तियों का उचित संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करना है ताकि धार्मिक और चैरिटेबल काम के लिए इनका उपयोग हो सके. वक्फ अरबी शब्द है और इसका मतलब ‘रोकना’ या ‘समर्पण करना’ है. इस्लाम में वक्फ की संपत्ति एक स्थायी धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में इस्तेमाल की जाती है.

वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए सभी राज्य में एक वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है. बोर्ड को वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण, संरक्षण और प्रबंधन करता है. वक्फ बोर्ड को वक्फ संपत्तियों की देखरेख, मरम्मत और विकास की जिम्मेदारी दी गई है. वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों के निपटारे के लिए एक स्पेशल कोर्ट का गठन भी किया गया है. देश में फिलहाल 30 वक्फ बोर्ड हैं. सूत्रों के मुताबिक सभी वक्फ प्रॉपर्टीज से हर साल 200 करोड़ रुपये का राजस्व आने का अनुमान है. पूरे भारत में वक्फ बोर्ड के पास करीब 52,000 संपत्तियां हैं. 2009 तक चार लाख एकड़ भूमि पर 3,00,000 पंजीकृत वक्फ संपत्तियां थीं. इसके मुकाबले अब आठ लाख एकड़ से अधिक जमीन पर 8,72,292 ऐसी संपत्तियां हैं.

वक्फ बोर्ड एक्ट में कब-कब हुआ बदलाव, क्या होने वाला है बदलाव ?

वक्फ एक्ट 1954 को बाद में संशोधित करके वक्फ एक्ट, 1995 के रूप में पारित किया गया था. इसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन से संबंधित प्रावधानों को और अधिक स्पष्ट और प्रभावी बनाया गया. इसके बाद वक्फ बोर्ड एक्ट में 2013 में कई बदलाव किए गए. वर्तमान में मोदी सरकार अब इसी कानून में लगभग 40 संशोधन करना चाहती है. सरकार का दावा है कि ऐसा करने से वक्फ बोर्ड की शक्तियां पहले के तुलना में और पारदर्शी हो जाएंगी. इसके पास हो जाने के बाद पहली बार वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं की भागादारी भी सुनिश्चित होगी. आपको बता दें कि सऊदी और ओमान समेत दुनिया के किसी भी देश में वक्फ बोर्ड के पास इतनी ताकत या संपत्ति नहीं हैं. वक्फ बोर्ड सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद देश में जमीन का तीसरा सबसे बड़ा मालिक बना है. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति है. यूपी में सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं. वक्फ से अर्जित राजस्व का इस्तेमाल सिर्फ मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए किया जा सकता है. हालांकि, वक्फ बोर्ड दरगाह की परंपराओं को मान्यता नहीं देते हैं, क्योंकि ऐसी कई परंपराएं शरीयत में नहीं हैं.

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