लखनऊ : विक्रम राव
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में नए पार्टी का उदय हो रहा है. सरकार द्वारा जबरिया रिटायर्ड किये गए पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने नए राजनीतिक दल के गठन की घोषणा की है. इसके बाद अमिताभ ठाकुर को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. अमिताभ ठाकुर पर योगी सरकार के खिलाफ कई मामलों में साजिश करने का आरोप है और इन्हीं मामलों में अमिताभ को गिरफ्तार किया गया है. दिल्ली में जिस प्रकार आईआरएस अरविन्द केजरीवाल ने अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद अपनी पार्टी, आम आदमी पार्टी (आप) बनाया था, वैसे ही अमिताभ ठाकुर की भी मंशा है.. सियासी खेल में केजरीवाल की पार्टी हिट हो गयी और दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो गयी. अब तो लगातार दूसरी बार भी मुख्यमंत्री बनकर केजरीवाल दिल्ली की राजनीति करके उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तरखंड, गोवा चुनाव में लड़ने जा रहे हैं. केजरीवाल के लाइन पर अब उत्तर प्रदेश में सेवा देने वाले पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर के नया राजनीतिक दल बनाने की घोषणा से यूपी में हलचल तेज है. अमिताभ ठाकुर ने सहयोगियों और मित्रों से नाम और संगठन को लेकर सहयोगियों से सुझाव मांगे हैं. अमिताभ, ईमानदार अफसर के रूप में जाने जाते रहे हैं. फ़िलहाल जबरन रिटायर्ड कराने के फैसले के खिलाफ सरकार से और कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं.
पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने ऐलान किया है कि वो अगामी विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. अपने घर पर ‘जबरिया रिटायर’ का पोस्टर लगाने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने ऐलान किया है वो राजनीति में एंट्री करने वाले हैं. अमिताभ ठाकुर ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा है कि वो अगामी विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. ट्विटर पर शेयर किए गए वीडियो में अमिताभ ठाकुर ने कहा कि ‘सीएम के रूप में योगी के द्वारा तमाम अलोकतांत्रिक, विभेदकारी, दमनकारी कार्य किए गए और नीतियां बनाई गई. इन सबके के विरोध में मैंने निर्णय लिया है कि सीएम योगी जहां से भी चुनाव लड़ेंगे, वहां से उनके खिलाफ मैं चुनाव लड़ूंगा.’
कौन हैं अमिताभ ठाकुर जो मुलायम और योगी से सीधे ले रहे हैं टक्कर
मूलतः बिहार के मधुबनी के निवासी अमिताभ ठाकुर 1992 बैच के आईपीएस के साथ-साथ कवि व लेखक हैं. अमिताभ ठाकुर हमेशा चर्चा में रहे. पिछली अखिलेश सरकार में मुलायम सिंह से विवाद का ऑडियो वायरल होने के बाद निलंबित कर दिए गए थे. इसके बाद अमिताभ ठाकुर ने अखिलेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. अमिताभ के खिलाफ पांच विभागीय कार्रवाई भी हुई थी. उनके खिलाफ आरोप था कि 16 नवम्बर 1993 को आईपीएस की सेवा प्रारंभ करते समय अपनी संपत्ति का ब्योरा शासन को नहीं दिया था. इसके साथ ही उन्होंने 1993 से 1999 तक का वर्षवार संपत्ति विवरण शासन को एकमुश्त दिया. आरोपपत्र में यह भी था कि अमिताभ ठाकुर के वर्षवार वार्षिक संपत्ति विवरण में काफी भिन्नताएं हैं. उन्होंने अपनी पत्नी व बच्चों के नाम से काफी संख्या में चल एवं अचल संपत्तियां, बैंक व पीपीएफ जमा की हैं. उनको ऋण व उपहार प्राप्त हुए थे, किन्तु उन्होंने इसकी सूचना शासन को नहीं दी. इसके बाद अमिताभ ठाकुर कोर्ट पहुंच गए. कोर्ट के आदेश के उन्हें फिर बहाल किया गया. उन्होंने ड्यूटी तो ज्वाइन कर ली पर उसके लाइम लाइट में नहीं आए. 21 मार्च 2021 को गृहमंत्रालय ने समय से पहले उन्हें रिटायर कर दिया. अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं.
फिलहाल अमिताभ ठाकुर की गिरफ्तारी से राजनीतिक माहौल में चुनाव से पहले तेज गर्माहट देखी जा रही है.