दिल्ली : डॉ. निशा सिंह
नोएडा के सेक्टर-93ए में बने 103 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को आज दोपहर ढाई बजे ध्वस्त कर दिया गया. महज 9-12 सेकेंड में कुतुब मीनार से भी ऊंची इमारत जमींदोज कर दिया गया. इसके ध्वस्तीकरण के लिए करीब 9640 छेद में 3700 किलो विस्फोटक का प्रयोग किया गया.
इस दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए कंट्रोल रूम 28 अगस्त सुबह छह बजे से 30 अगस्त तक चौबिस घंटे संचालित की गई है. आम नागरिक किसी भी परेशानी को लेकर कंट्रोल रूम में 0120-2425301, 0120-2425302, 0120-2425025 शिकायत कर सकते हैं.
जानें पूरा मामला और क्यों गिराया गया ट्विन टाॅवर्स ?
सुपरटेक बिल्डर को सेक्टर-93ए में 23 दिसंबर 2004 को एमरॉल्ड कोर्ट के नाम पर भूखंड आवंटित हुआ, जिसमें 14 टाॅवरों का नक्शा पास हुआ. इसके बाद योजना में 3 बार संशोधन हुआ और बिल्डर को 2 नए टाॅवरों के निर्माण की मंजूरी दे दी गई. ये दोनों टाॅवर ग्रीन पार्क, चिल्ड्रन पार्क और 2 मंजिला कमर्शियल कॉम्प्लेक्स की जमीन पर बनाए गए, जिन्हें आज ट्विन टाॅवर्स के नाम से जाना जाता था. ट्विन टॉवरों के निर्माण में कानून का जमकर उल्लंघन होने के आरोप साबित होने पर 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें 30 नवंबर, 2021 तक गिराने और खरीदारों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ पैसे लौटाने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण के अधिकारियों और बिल्डरों के बीच सांठगांठ की जांच कराने को भी कहा था. इसके बाद यूपी सरकार ने एसआईटी का गठन कर 24 तत्कालीन अधिकारियों, बिल्डर प्रबंधन के 4 सदस्यों व 2 आर्किटेक्ट के खिलाफ जांच के आदेश दिए. इन सभी के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण ने एफआईआर दर्ज करवाई थी. बता दें कि इससे पहले 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी ट्विन टॉवर को गिराने का आदेश दिया था. सुपरटेक ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. शीर्ष अदालत ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था.
इन ट्विन टॉवरों में 711 लोगों ने फ्लैट के लिए निवेश किया था. हालांकि कोर्ट की ओर से लगातार आदेश और निगरानी के बावजूद अभी तक कुछ होम बायर्स को फ्लैट के लिए जमा किए गए पैसे का रिफंड नहीं मिला. लिहाजा इन इमारतों के गिरने के बाद कितने दिन में इन लोगों को अपना पैसा वापस मिलेगा, इसे लेकर चिंता बनी हुई है.