आज के दौर की ज्वलंत कविता : याद आया मैं भी किसान हूँ
जे. पी. पांडेय याद आया मैं भी किसान हूँ । ईट पत्थरों की बस्तियां फर्राटा भरती गाड़ियां सुबह यंत्रवत दफ्तर…
जे. पी. पांडेय याद आया मैं भी किसान हूँ । ईट पत्थरों की बस्तियां फर्राटा भरती गाड़ियां सुबह यंत्रवत दफ्तर…