जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का निधन, पाकिस्तान ने एक दिन शोक घोषित किया

न्यूज डेस्क :

Syed Ali Shah Geelani Death News : जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का 91 साल की उम्र में निधन हो गया है. गिलानी ने श्रीनगर के हैदरपुरा स्थित आवास पर बुधवार की रात 10.35 बजे अंतिम सांस ली. गिलानी के निधन पर पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने विवादित बयान देते हुए गिलानी को ‘पाकिस्‍तानी’ बताया और देश के झंडे को आधा झुकाने की घोषणा की. इतना ही नहीं इमरान ने एक दिन के राष्‍ट्रीय शोक का भी ऐलान किया है.

कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट एहतियातन बंद की गई

कश्मीर घाटी में अफवाहों के फैलने के कारण भ्रम की स्थिति पैदा होने से रोकने के लिए मोबाइल इंटरनेट एहतियातन बंद किया जा रहा है. पाकिस्तान की तरफ से विवादित बयान और भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए इंटरनेट को बंद कर दिया गया है. एक तरफ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में एक दिन के राजकीय शोक का एलान किया तो दूसरी तरफ विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत के खिलाफ ट्वीट किया, “कश्मीर स्वतंत्रता आंदोलन के मशाल वाहक सैयद अली शाह गिलानी के निधन पर पाकिस्तान ने शोक व्यक्त करता है. गिलानी ने भारतीय कब्जे की नजरबंदी के तहत आखिर तक कश्मीरियों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. उन्हें शांति मिले और उनकी आजादी का सपना साकार हो.”

कुरैशी के विवादित ट्वीट पर कांग्रेस का पलटवार

कुरैशी के इस ट्वीट के जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने उन्हें लताड़ते हुए कहा कि “मिस्टर कुरैशी आपने वास्तव में जिहाद के नाम पर निर्दोष कश्मीरियों को कट्टरपंथी बनाने के लिए भारत में काम करने वाली अपनी खुफिया एजेंसी का एक प्रतिनिधि खो दिया. निर्दोष कश्मीरियों की हत्या के लिए आपका देश और आपके सभी प्रतिनिधि इतिहास में दर्ज होंगे.”

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर शोक जताया

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि “हम भले ही ज्यादातर चीजों पर सहमत नहीं थे, लेकिन मैं उनकी दृढ़ता और उनके भरोसे पर अडिग रहने के लिए उनका सम्मान करती हूं.”

गिलानी को हैदरपोरा में दफनाया जाएगा

गिलानी को शहर के बाहरी इलाके स्थित हैदरपोरा में उनकी पसंद की जगह पर दफनाया जाएगा. कश्मीर घाटी में मस्जिदों से लाउडस्पीकर पर उनके निधन की सूचना दी गई और गिलानी के समर्थन में नारे लगाये गये. भारी भीड़ के जुटने और उपद्रव की संभावना को देखते हुए पुलिस ने बताया कि एहतियात के तौर पर कश्मीर में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाये गये हैं.

गिलानी तीन बार विधायक और हुर्रियत कांफ्रेंस के संस्थापक थे

बता दें कि गिलानी ने साल 1950 में अपने सियासी सफर का आगाज किया था और 28 अगस्त 1962 को अशांति फैलाने के आरोप में पहली बार जेल भेजे गये थे. पूर्ववर्ती राज्य में सोपोर से तीन बार 1972, 1977 और 1987 में विधायक रहे. गिलानी 2008 के अमरनाथ भूमि विवाद और 2010 में श्रीनगर में एक युवक की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शन करते नजर आये थे. उनका पासपोर्ट 1981 में जब्त कर लिया गया था और फिर उनका पोसपोर्ट केवल एक बार 2006 में हज यात्रा के लिए उन्हें लौटाया गया था. उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय, पुलिस और आयकर विभाग में कई मामले लंबित थे. वह हुर्रियत कांफ्रेंस के संस्थापक सदस्य थे, लेकिन वह उससे अलग हो गये और उन्होंने 2000 की शुरुआत में तहरीक-ए-हुर्रियत का गठन किया था. आखिरकार उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत कांफ्रेंस से भी अलग ही गए.

गिलानी का बड़ा है परिवार

गिलानी के परिवार में उनके दो बेटे और छह बेटियां हैं. 1968 में अपनी पहली पत्नी के निधन के बाद उन्होंने दोबारा शादी की थी. वे पिछले दो दशक से अधिक समय से गुर्दे संबंधी बीमारी से पीड़ित थे और उनका इलाज चल रहा था. यही नहीं बढ़ती आयु संबंधी कई अन्य बीमारियों से वे लंबे जूझ रहे थे और 91 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया.

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