रांची : शिवपूजन सिंह
भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को स्वामी विवेकानंद के विचारों और जीवन पद्धति की जरूरत है. स्वामी विवेकानंद का जन्म आज से 160 साल पहले यानी 12 जनवरी 1863 को हुआ था, लेकिन समयसे पहले चलने वाले स्वामी विवेकानंद की जरूरत आज भी उतनी ही है. रांची के नामकुम में युग पुरुष स्वामी विवेकानंद की जयंती बड़े धूम धाम से मनाई गई. नरेंद्र मोदी विचार मंच ने इस पर विशेष पहल किया और स्वामी जी को याद कर, उनके विचार और जिंदगी के यथार्थ को लोगों को बताया और समझाया.
नरेंद्र मोदी विचार मंच के सह संयोजक मनोज सिंह ने युवाओं को संबोधित कर विवेकानंद की राह पर चलने के लिए जोश भरा और प्रेरित किया. उन्होंने युवाओं और छात्रों को देशभक्ति और देशप्रेम का पाठ भी पढ़ाया. आपको बता दें कि केवल 25 वर्ष की अवस्था में नरेंद्र दत्त ने गेरुआ वस्त्र पहन लिया और नरेन्द्र दत्त से स्वामी विवेकानंद बन गए. तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की. 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद् में स्वामी विवेकानंद भारत के प्रतिनिधि के रूप से शामिल होकर पराधीन भारत के आस्था और धर्म के बारे में यूरोप-अमेरिका के लोगों को जागृत किया. बता दें कि उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखा जाता था, लेकिन स्वामी विवेकानंद ने उनलोगों की आंखे खोल दी थी.
स्वामी विवेकानंद ने जीवन भर लोगों की शिक्षा, संस्कार और सेवा पर जोर दिया और उनके बताए मार्ग पर चलने की कोशिश आज भी हो रही है. स्वामी जी की जयंती पर नरेंद्र मोदी विचार मंच के सह संयोजक मनोज सिंह ने नायक टोली में हाशिए पर जिंदगी बसर कर रहें लोगों की मुश्किलें कम करने के लिए कंबल भी बांटे ताकि इस सर्द रात से लोग लड़ सकें. इस अवसर पर अशोक नायक, विजय बहादुर सिंह, रामनंदन सिंह, यशोदा देवी, आशा देवी, साधु नायक, सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे.