मानवमात्र के लिए समर्पित आध्यात्मिक गुरु स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती जी, विदेशों में राष्ट्र अध्यक्ष भी करते हैं चरण स्पर्श

Swami Umakantanand Saraswati

स्वामी उमाकांतानंद जी को अध्यात्मक और आधुनिक विज्ञान का जीता जागता मिश्रण कहा जाता है. उन्होंने अपने ज्ञान और दिव्यदृष्टि से केवल भारतीयों को ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लोगों का कल्याण किया है. शिक्षा से लेकर आध्यात्म तथा आईआईटी के छात्रों से लेकर जेल के कैदी तक के जीवन में स्वामी जी ने सुधार लाया है.

भारत हमेशा से ही आध्यात्म और ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी रहा है. समय-समय पर यहां ऐसे ऋषि-मुनि पैदा होते रहे हैं, जिन्होंने जगत के कल्याण के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया है. ये ऋषि-मुनि ज्ञान, विज्ञान से लेकर आध्यात्म तक समाज के लिए मार्गनिर्देशक रहे हैं. आज ऐसे ही एक आध्यात्मिक गुरू स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती जी के बारे में हम जानेंगे कि आखिर उन्होंने ऐसा कौन-सा कार्य किया है कि विदेशों में राष्ट्राध्यक्ष तक झुककर उनका नमन करते हैं.

स्वस्थ जीवन के लिए “अनन्त जीवन पद्धति” पाठ्यक्रम किया लॉन्च

Swami UmakantaNand Sarswati : सर्वप्रथम लोगों के कल्याण के लिए शांतिपूर्ण और तनाव मुक्त व आध्यात्मिक ज्ञान बहुत जरूरी है, इसके लिए स्वामी उमाकांतानंद जी ने एक शिक्षण पाठ्यक्रम लॉन्च किया है. इस पाठ्यक्रम का नाम “अनन्त जीवन पद्धति” (शाश्वत जीवन विद्या) है. इसके अलावा स्वामी जी “शाश्वत ज्योति” पत्रिका के संस्थापक और मुख्य संपादक भी हैं. सन 1893 में जिस प्रकार से स्वामी विवेकानंद जी ने जिस विश्व धर्म संसद में भाग लिया था और समस्त विश्व में सनातन धर्म की श्रेष्ठता सिद्ध की थी, ठीक उसी प्रकार से सन 1999 में स्वामी उमाकांतानंद जी ने दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में हुए विश्व धर्म संसद में भाग लेकर सनातन धर्म की सही तस्वीर लोगों के सामने प्रस्तुत की थी.

Swami Umakantanand with Mauritius President
Swami Umakantanand with Mauritius President

आईआईटी और बीआईटी से लेकर जेलों में कैदियों हीलिंग व मैडिटेशन

स्वामी उमाकांतानंद जी बचपन से ही देश-विदेश में उपदेश देते रहे हैं. इनके विषय जैसे- रामायण, गीता, भागवत, वेद, उपनिषद और भारतीय संस्कृति के शाश्वत पहलुओं पर आधारित होते है. स्वामी जी ने आईआईटी और बीआईटी जैसे शिक्षण संस्थानों एवं देश के विभिन्न विद्यालयों अथवा रोटरी क्लब और लायंस क्लब जैसे संस्थानों में टाइम मैनेजमेंट, स्ट्रेस मैनेजमेंट, हीलिंग, मैडिटेशन विषयों पर व्याख्यान दिए है. देश की 24 बड़ी जेलों में रहने वाले कैदियों को प्रवचन दिया. स्वामी जी के प्रवचन का इतना अधिक प्रभाव रहा कि सैकड़ों कैदियों का हृदय परिवर्तित हो गया है.

40 से अधिक देशों में भारतीय आध्यात्मिक व्याख्यान

स्वामी उमाकांतानंद जी ने 40 से अधिक देशों जैसे यूएसए, कनाडा, इंग्लैंड, आयरलैंड, डेनमार्क, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस आदि में भारतीय आध्यात्मिक व्याख्यान दिये है. स्वामी उमाकांतानंद जी आम लोगों को “मोटिवेशनल लेक्चर एवं श्री राम कथा और श्री भागवत कथा” के माध्यम से आत्मतत्व का ज्ञान कराते हुए व्यवहारिक जीवन जीने की कला सीखा रहे है और वहीं दूसरी ओर योग आसन, प्रणायाम एवं ध्यान के माध्यम से स्वस्थ शरीर भी बना रहे है. स्वामी जी राष्ट्र निर्माण एवं आत्म कल्याण के साथ-साथ लोक कल्याण करते हुए परमात्मा प्राप्ति कैसे हो इसका मार्ग भी प्रशस्त करा रहे है. स्वामी जी के कार्यों के लिए कई देशों के राष्ट्र अध्यक्ष स्वामी जी का आशीष पाकर अपने आप को धन्य मानते है.

स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती जी का प्रारंभिक जीवन

आध्यात्मिक स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती जी का जन्म एक छोटे से कस्बे में हुआ, परंतु उनमें दैविक गुण शुरू से ही था. उन्होंने बचपन में ही खेलना-कूदना छोड़कर भगवान के प्रति तपस्या करना आरम्भ दी थी. शुरू से ही लोगों के दुःख को देखकर उनको कष्ट होता था. स्वामी जी को 12 वर्ष की आयु में ही गुरु की प्राप्ति हुई और इसके उपरान्त उन्होंने आध्यात्मिक गुणों के रहस्य को जानने के लिए 16 वर्ष की आयु में अपना घर छोड़ दिया. स्वामी जी ने घर छोड़ने के बाद बड़ी कठिन तपस्या की और “आत्म साक्षर” के लक्ष्य को प्राप्त किया.

स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती जी की शिक्षा-दीक्षा

जन्म से ही स्वामी उमाकांतानंद जी को दैविक कृपा थी और उनमें अनेक गुण थे, परन्तु मित्रों के आग्रह पर उन्होंने संगीत प्रभाकर के साथ आर्युवेद रत्न की उपाधि ली. उन्होंने दर्शनशास्त्र और हस्तरेखा शास्त्र में बी.ए. किया, तत्पश्चात प्राचीन भारतीय संस्कृति, इतिहास एवं पुरतत्व में एम.ए. किया और एम.ए. की डिग्री गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से प्राप्त की. इसी विश्वविद्यालय से स्वामी जी ने प्राचीन भारतीय योग परम्परा विषय में पी.एच.डी. भी की.

Swami Umakantnand of Juna Akhada

आपको बता दें कि बीस सालों तक देश-विदेश में अपने उपदेश देने के बाद स्वामी उमाकांतानंद जी दशनामी संन्यास परम्परा के जूनागढ़ अखाड़ा से जुड़ गए. जूनागढ़ अखाड़े के संतों ने स्वामी उमाकांतानंद जी को महामंडलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया. स्वामी उमाकांतानंद जी को अध्यात्मक और आधुनिक विज्ञान का जीता जागता मिश्रण कहा जाता है. वर्तमान में स्वामी जी जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं. वह मॉरीशस में शाश्वतम फाउंडेशन और भारत के हरिद्वार में शाश्वतम डिवाईन श्रीराम इंटरनेशनल चेरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े हैं. स्वामी जी के आम लोगों के साथ ही कैदियों तक के जीवन में सुधार लाने के उनके प्रयासों तथा धर्म को विज्ञान के साथ जोड़कर लोगों की समस्याओं के निराकरण करने के कारण उनको विदेशों में सामान्य लोगों के साथ ही राष्ट्र अध्यक्ष भी ह्रदय से वंदन करते हैं.

डॉ. निशा सिंह

Jetline

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