कोरोना से हुई मौतों पर मुआवजा देने में देरी पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

Supreme Court on Corona death compensation

न्यूज डेस्क :

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से हुई मौतों में परिजनों को मुआवजा देने में केंद्र सरकार की देरी और उदासीनता को लेकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना से मरने वालों के परिवार को मुआवजा देने की नीति अब तक तय न हुई है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को पहले ही मुआवजा नीति और डेथ सर्टिफिकेट में मौत की सही वजह दर्ज करने की व्यवस्था करने के लिए कहा था, लेकिन केंद्र की ओर से अब तक जवाब दाखिल न होने पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने आज कहा कि आप जब तक कदम उठाएंगे, तब तक तीसरी लहर भी आकर जा चुकी होगी. बता दें कि 30 जून को दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने देश में कोरोना से हुई हर मौत के लिए मुआवजा देने को कहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) से कहा था कि वह 6 हफ्ते में मुआवजे की रकम तय कर राज्यों को सूचित करे, ताकि पीड़ितों को जल्द राहत मिल सके. कोर्ट ने माना था कि इस तरह की आपदा में लोगों को मुआवजा देना सरकार का वैधानिक कर्तव्य है, लेकिन मुआवजे की रकम कितनी होगी, यह फैसला सरकार तय करेगी.

कोर्ट में मामले के याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि अस्पताल से मृतकों को सीधा अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है. न तो उनका पोस्टमॉर्टम होता है और न ही डेथ सर्टिफिकेट में लिखा जाता है कि मृत्यु का कारण कोरोना था. ऐसे में अगर मुआवजे की योजना शुरू भी होती है तो लोगों को उसका लाभ नहीं मिल पाएगा. इस मामले पर कोर्ट ने कहा था कि कोरोना से मरने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत की वजह साफ लिखी जानी चाहिए और सर्टिफिकेट पाने की प्रक्रिया सरल बनाई जानी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले में जस्टिस एम आर शाह और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने सुनवाई की. एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को सूचित किया कि अब तक सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल नहीं हो पाया है. भाटी ने इसके लिए 10 दिन का समय मांगा. कोर्ट में मौजूद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि मामला अभी सरकार के पास विचाराधीन है. इस पर बेंच के अध्यक्ष जस्टिस शाह ने कहा कि आदेश दिए हुए लंबा समय बीत चुका है. सरकार जब तक कुछ करेगी, तब तक तीसरी लहर भी बीत चुकी होगी. कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार पहले भी समय मांग चुकी है. अब वह 11 सितंबर तक जवाब दाखिल कर दे. आपको बता दें कि लंबे समय से कोरोना की वजह से ऑनलाइन कार्यवाही होने के बाद अब कोर्ट में फिर से फिजिकल सुनवाई शुरू हो गई है.

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