न्यूज डेस्क
देश में कोरोना से बिगड़ते हालात को लेकर सुनवाई के दौरान
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि वैक्सीन और जीवन रक्षक दवाओं के प्रोडक्शन को बढ़ाया जाए, ताकि लोगों की जिंदगी बचाई जा सके. केंद्र सरकार वैक्सिन और दवाओं की कम से कम कीमत तय करे और राज्य सरकारों को बांटने के लिए दे. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार अपने इमरजेंसी पावर का इस्तेमाल करके नियम और कानून में बदलाव कर सकती है.
केंद्र सरकार इमरजेंसी पावर का इस्तेमाल करके नियम-कानून में बदलाव कर सकती है.
आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैक्सीन और ज्यादातर जीवन रक्षक दवाएं निजी कंपनियां बनाती है, जिन पर कंपनी का पेटेंट होता है, लेकिन केंद्र सरकार इन कंपनियों को प्रोडक्शन के लिए ग्रांट दे रही है. ऐसे में केंद्र सरकार इमरजेंसी पावर का इस्तेमाल करके वैक्सीन और दवाओं की कीमत कम से कम तय कर सकती है. सरकार इसके लिए नियमों में बदलाव ला सकती है. जस्टिस रविंद्र भट्ट ने कहा कि पेटेंट और लाइसेंसिंग को आसान बनाइए, ताकि कोई भी कंपनी बिना किसी डर के दवा बना सके और उसे बाजार में बेच सके. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा की करोना की वैक्सिन लोगों को अस्पताल में ऐसे मिलनी चाहिए जैसे दूसरी वैक्सीन दी जाती है. हालात इतने खराब है तो सरकार दवा बड़ी तादाद में क्यों नहीं ख़रीद रही है. दवा का दाम सब के लिए एक क्यों नहीं है.
केंद्र सरकार पूरा दवा खरीदे और राज्य सरकार को सप्लाई करे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश की हालत को देखते हुए केंद्र सरकार पूरा दवा खरीदे और राज्य सरकार को सप्लाई करे, ताकि सब राज्यों को जरूरत के मुताबिक दवा मिल सके. सिर्फ remidisivir ही नहीं, बल्कि कई और मेडिसिन नहीं मिल रहे हैं, इनका प्रोडक्शन क्यों नही बढ़ाया जा रहा है ? एकतरफ बांग्लादेश एक गरीब देश है, फिर भी वो remedisivir बेच रहा है, दूसरी तरफ झारखंड सरकार उनसे खरीदना चाहता है. केंद्र सरकार इस पर क्यों नहीं काम कर रही है ?
सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 10 मई को होगी
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि देश में टेस्टिंग की हालत खराब है. लैब सही रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं. अस्पताल में दाखिले को ले कर सरकार की क्या नीति है ? कई अस्पताल बहुत पैसा चार्ज कर रहे हैं. ट्रीटमेंट और एडमिट होने पर सरकार की क्या नीति है ? इन सभी सवालों पर सुप्रीम कोर्ट शनिवार को आदेश देगा. इसके बाद अगली सुनवाई 10 मई को होगी.