विशेष संवाददाता
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि कोर्ट किसी भी तरह से किसानों के आंदोलन में दखल नहीं देगा. विरोध करना उनका अधिकार है जब तक कि वो अहिंसक रहे. मुख्य न्यायधीश जस्टिस एस ए बोबडे ने सुझाव दिया कि जब तक सरकार और किसानों के बीच समझौते की बात होती है तब तक इन कानूनों को लागू न किया जाए.
केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जेनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि वह इस सुझाव पर सरकार से बात करेंगे और अगली सुनवाई में सरकार का रुख बताएंगे. हालांकि उन्होंने कहा कि इसकी गुंजाइश कम है, क्योंकि अगर सरकार कानून पर किसी तरह का रोक लगाती है तो फिर किसान बात चीत ही नहीं करेंगे. इसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम कानून पर रोक लगाने की बात नहीं कर रहे. आप ये कर सकते हैं कि दोनों पक्ष जब तक बातचीत कर रहे हैं तब तक कानून को लागू न करने का भरोसा दिलाया जाए. आज हुई सुनवाई में किसानों के संगठन के तरफ से कोई भी प्रतिनिधि नहीं आया था. कोर्ट को बताया गया कि किसी भी संगठन ने नोटिस स्वीकार करने से मना कर दिया. आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि सभी संगठन को आधिकारिक तौर पर नोटिस दिया जाए और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में शामिल होने को कहा जाए.
अब इस मामले की सुनवाई अगले 15 दिनों में सर्दी की छुट्टियों में होगी जिसके लिए अलग बेंच का गठन किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर रहा है कि किसानों के आंदोलन से बन्द पड़े सड़क को कैसे खोला जाए. दोनों पक्ष एक दूसरे पर सड़क बन्द करने का इल्ज़ाम लगा रहे है. आज सुप्रीम कोर्ट में तीनों कृषि कानून की संवैधानिक वैद्यता पर भी बहस होनी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पहले सड़क जाम होने पर चर्चा करेंगे और उसके बाद कानून पर.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को लिखी आठ पेज की चिट्ठी
कृषि कानूनों के विरोध के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देश के किसानों को खुली चिट्ठी लिखी है. आठ पन्ने की चिट्ठी में नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को 8 आश्वासन दिए हैं. उन्होंने कहा है कि सरकार MSP पर लिखित में आश्वासन देने को तैयार है. उन्होंने साफ किया कि MSP जारी है और जारी रहेगी. कृषि मंत्री ने कहा कि राजनीति के लिए कुछ लोग झूठ फैला रहे हैं. नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को ये चिट्ठी तब लिखी है जब सरकार और दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले किसानों के बीच वार्ता रुक चुकी है. दिल्ली की सीमाओं पर 22 दिन से किसान कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले. वहीं, सरकार ने किसानों को संशोधन का प्रस्ताव दिया था, जिसे ठुकरा दिया गया. पांच दौर की वार्ता असफल रहने के बाद सरकार और किसानों में फिलहाल बातचीत ठप है.
अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पीयूष गोयल और पार्टी महासचिवों ने मंथन किया
आज दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल किसानों के आंदोलन पर चर्चा के लिए पार्टी महासचिवों के साथ बैठक की. दिल्ली-एनसीआर में तीनों नए कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और हरियाणा-दिल्ली व यूपी बॉर्डर को जाम करके आंदोलन कर रहे हैं. दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 दिसंबर को मध्य प्रदेश में होने वाले किसान सम्मेलनों को संबोधित करेंगे. पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी दोपहर 2 बजे राज्य के किसानों को संबोधित करेंगे.
दिल्ली विधानसभा में बवाल, आप विधायकों ने फाड़ी कृषि कानून की कॉपी
कृषि कानून को लेकर दिल्ली विधानसभा में हंगामा हुआ. गुरुवार को एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था. इसी दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों ने सदन में ही कृषि कानून की कॉपी को फाड़ दिया. यह सत्र कल भी चलेगी. केजरीवाल सरकार कृषि कानून पर आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में है.