न्यूज डेस्क
सुपरटेक लिमिटेड कंपनी को नोएडा प्रोजेक्ट के अपने दो टॉवर को गिराना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को नोएडा प्रोजेक्ट के 40 मंजिला दो टावर गिराने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला दो टावरों का अवैध निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलीभगत से किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के एमेराल्ड कोर्ट परियोजना के 40 मंजिला दो टावरों को गिराने का आदेश दिया है, क्योंकि इनका निर्माण नियमों का उल्लंघन कर किया गया है. कोर्ट ने सुपरटेक को दोनों टावरों को नोएडा प्राधिकरण की निगरानी में तीन माह के भीतर तोड़ने के निर्देश दिये हैं. इन दोनो टावरों में 915 फ्लैट और दुकान है. ये सारा निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलीभगत करके कंपनी ने किया है, इसलिए कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को भी कड़ी फटकार लगायी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस दोनों टावरों को अवैध करार देने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए उन्हें गिराने का आदेश दिया है.
3 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में भी प्राधिकरण को कोर्ट ने फटकार लगायी थी और कहा था कि ऑथरिटी को एक सरकारी नियामक संस्था की तरह व्यवहार करना चाहिए.
2014 में ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे गिराने का आदेश दिया था
साल 2014 में ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुपरटेक के इस निर्माण को अवैध बताते हुए दोनो टावरों को गिराने का आदेश दिया था. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. हाई कोर्ट ने ऑथरिटी के अधिकारियों पर कार्रवाई का भी आदेश दिया था. अपील के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस ऑर्डर पर स्टे लगा दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसला के बाद इन टावरों का गिराया जाना तय है.
निवेशकों के पैसे का क्या होगा ?
सुपरटेक के इन दोनों टावरों के गिराये जाने के आदेश के बाद अब निवेशकों को अपने पैसे की चिंता सताने लगी है. इन दोनों टावरों में 950 फ्लैट बनाने का प्लान था, जिसमें 32 फ्लोर का काम पूरा भी हो गया है. सुपरटेक के इस प्रॉजेक्ट में 633 लोगों ने अपने फ्लैट बुक कराये थे, हालांकि हाई कोर्ट के आदेश के बाद 248 लोगों ने कंपनी से रिफंड वापस भी ले लिया, जबकि 133 और लोगों ने दूसरे जगहों पर फ्लैट ले लिया. बता दें कि अब भी 252 लोगों के पैसे इस प्रोजेक्ट में फंसे हुए हैं.