दिल्ली : वरिष्ठ संवाददाता
आम लोगों पर महंगाई की मार और पड़नेवाली है. पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ी कीमतों से आगे भी राहत नहीं मिलनेवाली है, बल्कि आने वाले दिनों में ईंधन की कीमतों में और बड़ा उछाल देखने को मिलेगा. बता दें कि अमेरिका में प्राकृतिक गैस 12 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है और वैश्विक बाजार में ईंधन की आपूर्ति में कमी ने सर्दियों से पहले देश में पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में बढ़ोतरी की आशंका पैदा कर दिया है. इससे गैस की मांग में बड़ा उछाल आया है, जो कीमत बढ़ाने का काम किया है. दूसरी ओर तेल निर्यात देशों के संगठन ओपेक ने भी कच्चे तेल का उत्पादन धीरे-धीरे बढ़ाने का फैसला किया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी की कीमत तेजी से बढ़ी है. इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर होता है और आगे भी होता रहेगा.
पिछले एक साल में रसोई गैस 305.50 रुपये तक महंगा हो गया
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईंधन की कीमतों में तेजी के कारण बुधवार को रसोई गैस की कीमत में 15 रुपये प्रति सिलेंडर की वृद्धि की गई, जबकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं. देश में पिछले एक साल में रसोई गैस 305.50 रुपये तक महंगा हो चुका है. इसी वर्ष 1 सितंबर को 14.2 किलोग्राम के गैर-सब्सिडी रसोई गेस सिलेंडर के दाम में 25 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी और इससे पहले 17 अगस्त को गैस सिलेंडर की कीमतों में 25 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी.
पेट्रोलियम कंपनियों का दावा – 100 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान है
भारत की पेट्रोलियम कंपनियों- इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम का कहना है कि मौजूदा समय में प्रति सिलेंडर 100 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. मई में सऊदी अरब 483 डॉलर प्रति मैट्रिक टन की दर से एलपीजी की आपूर्ति करता था, जो अक्टूबर में 797 डॉलर प्रति मैट्रिक टन कर दिया है. इस कारण पेट्रोलियम कंपनियों को करीब 100 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है.
सरकार ने सब्सिडी को खत्म किया
सरकार ने समय-समय पर वृद्धि करके एलपीजी पर सब्सिडी को समाप्त कर दिया है. एक वर्ष में रियायती दरों पर 14.2 किलोग्राम के 12 सिलेंडर और मुफ्त कनेक्शन पाने वाले उज्ज्वला योजना लाभार्थी, अब बाजार मूल्य का भुगतान करते हैं. पांच किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर की कीमत भी अब 502 रुपये हो गयी है. बता दें कि जुलाई के बाद से रसोई गैस की कीमतों में यह चौथी वृद्धि है. जुलाई में कीमतों में 25.50 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गयी थी, इसके बाद 17 अगस्त और एक सितंबर को 25-25 रुपये की बढ़ोतरी की गयी थी.
बता दें कि आगे भी पेट्रोल-डीजल और रसोई गैसे की कीमत में कमी की उम्मीद नहीं है. कोरोना टीकाकरण की रफ्तार तेज होने से पूरी दुनिया के बाजार तेजी से खुल रहे हैं और इससे ईंधन की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उस अनुपात में उत्पादन नहीं हो रहा है. ऐसे में आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमत में और तेजी देखने को मिल सकती है. इसका असर भारतीय बाजार पर पड़ना तया है, क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. ऐसे में सस्ते ईंधन की उम्मीद नहीं कर सकते हैं.