सोनिया गांधी ने कल बड़े कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाई, चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को भी बुलाया


डॉ. निशा सिंह

कोरोना काल के लंबे ब्रेक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी शनिवार को फुल एक्शन में नजर आएंगी. 10 जनपथ पर कल 19 दिसम्बर को उन सभी पार्टी नेताओं के साथ एक के बाद एक मीटिंग्स का दौर चलेगा जिन्होंने पिछले कुछ समय में कांग्रेस अध्यक्ष से मिलने का समय मांगा है. पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु में संभावित गठबंधन पर चर्चा होगी. बैठक में संबंधित नेता शामिल होंगे. बैठक में सबकी बात सुनने के बाद इन चुनावी राज्यों में गठबंधन पर आखिरी फैसला सोनिया गांधी लेंगी. इन नेताओं के साथ राहुल गांधी ने पहले बैठक कर ली है, सभी प्रदेशों के लिए रिपोर्ट तैयार हैं. सोनिया के साथ बैठक में राहुल गांधी भी मौजूद रहेंगे. किसान आंदोलन पर पार्टी के आगे के रुख के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की भी सोनिया गांधी से शनिवार को बैठक होगी. मोदी सरकार द्वारा संसद सत्र नहीं बुलाने के मसले पर भी बैठक होगी. राज्य सभा और लोकसभा में पार्टी के बड़े चेहरे इस बैठक में शामिल होंगे. इसके अलावा अशोक गहलोत भी 10 जनपथ में सोनिया से मिलेंगे. उन कई नेताओं ने भी मिलने का समय मांगा था,जिन्होंने पार्टी से नाराज होकर चिट्ठी लिखी थी, उनसे भी अलग से मुलाकात करेंगी सोनिया. हरीश रावत पंजाब में कैबिनेट में फेरबदल और किसान आंदोलन के मामले पर मिलेंगे तो शशि थरूर केरल में लोकल बॉडी चुनाव के मामले को लेकर मिलेंगे.

इस बैठक में G-23 के नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे. बैठक में सोनिया गांधी के अलावा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के भी शामिल होंगे. लगातार दो लोकसभा चुनाव हारने और पार्टी के सिकुड़ते जनाधार को लेकर हाल ही में कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी नेतृत्व और उसकी कार्यशैली पर सवाल उठाया था. माना जा रहा है कि जिस तरह 2019 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दिया और उसके बाद जिस तरह से बैक डोर से राहुल गांधी पार्टी चला रहे हैं, उससे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाराज़ हैं. इनमें से कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से भी बयान देकर पार्टी के अंदर चल रहे घमासान को आम कर दिया है. सोनिया गांधी के द्वारा बैठक बुलाए जाने का मतलब साफ है कि नेतृत्व ऐसे नेताओं को नज़र अंदाज़ नही कर सकती है.

सोनिया गांधी से मिलने वाले नेताओं ने अपना कोरोना टेस्ट करवाया. नेगेटिव रिपोर्ट वाले नेता ही कल की बैठक में शामिल होंगे.

अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले G-23 के नेताओं की पहली मांग है की पार्टी का पूर्णकालिक अध्यक्ष होना चाहिए. कोई पीछे के दरवाजे से पार्टी को न चलाए. अगर राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व करना चाहते हैं तो उन्हें अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, लेकिन अगर आने वाले दिनों में गांधी परिवार से बाहर राहुल गांधी समर्थित कोई नेता अध्यक्ष पद के लिए सामने आता है, तो G-23 के नेता भी चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे. G-23 के नेताओं की दूसरी मांग है कि कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव होना चाहिए. मनोनयन के ज़रिए पद न दिया जाए ताकि आने वाले वक्त में नेताओं की जवाबदेही तय हो सके. इसके अलावे नेताओं की ये भी मांग है कि प्रादेशिक इकाइयों में भी पद संगठनात्मक चुनाव के ज़रिए दिया जाए.

कल 19 दिसम्बर की होने जा रही बैठक में कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे गांधी परिवार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि संकट की इस घड़ी में नए और पुरानी पीढ़ी के नेताओं को कैसे एक साथ रखा जाए. दरअसल समस्या ये है कि अहमद पटेल के निधन के बाद गांधी परिवार और पार्टी के दूसरे नेताओं के बीच समन्वय बनाने की कड़ी टूट गया है. ऐसे में नाराज़ चल रहे G-23 के नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी हाल ही में सोनिया गांधी ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को दी. साथ ही अहमद पटेल के निधन के बाद हाल ही हुए वर्किंग कमिटी की बैठक में प्रियंका गांधी ने यह बात बार बार दोहराया कि अहमद पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि पार्टी एकजुट रहे.

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति ने तय किया था कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया शुरू किया जाए. ये सही है कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव कांग्रेस के electoral college के लोग करेंगे. इसकी प्रक्रिया चल रही है. मेरे साथ 99.9 फीसदी लोगों का मानना है कि राहुल गांधी ही मोदी से लोहा ले सकते हैं और कांग्रेस का नेतृत्व करने के लिये वही साझा उम्मीदवार है. बाकी लोग चुनाव लड़ने लिये स्वतंत्र है.

इससे पहले पिछले महीने कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर बैठक हुई थी. मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में निर्णय लिया गया कि AICC सदस्यों और प्रतिनिधियों की अंतिम सूची को अगले एक महीने में अंतिम रूप दिया जाएगा. फिर इसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपा जाएगा. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव फरवरी से पहले होने की संभावना नहीं है.

फिलहाल कल की बैठक के बाद ये तय होगा कि आने वाले वक्त में कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार के हाथ में रहेगा या फिर अगले अध्यक्ष को लेकर पार्टी दो भागों में बंट जाएगी. कपिल सिब्बल से लेकर कई नेताओं का विरोध अब पार्टी को एकजुट रखने में गाँधी परिवार को काफी मस्सकत करनी पड़ेगी.

Jetline

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