दिल्ली: न्यूज़ डेस्क
भारत में अब तक 60 करोड़ से ज्यादा कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को ट्वीट करते हुए कहा कि सबका स्वास्थ्य सबकी सुरक्षा के मंत्री के साथ कविड-19 टीकाकरण में देश आगे बढ़ रहा है. उन्होंने एक ग्राफिक्स भी शेयर किया है और कहा कि भारत को पहले 10 करोड़ टीके लगाने में 85 दिन लग गए. उसके बाद 20 करोड़ में 45 दिन, 30 करोड़ में 29 दिन, 40 करोड़ में 24 दिन, 50 करोड़ में 20 दिन और अब 60 करोड़ वैक्सीनेशन को पूरा करने में सिर्फ 19 दिन लगे हैं.
कोविड वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि बच्चों के मानसिक और शारिरिक विकास के लिए स्कूल खोल देने चाहिए
भारत में 12 साल औऱ उससे उपर की उम्र के बच्चों को कोरोना का टीका इस साल अक्टूबर के पहले हफ्ते से देने की योजना है. देश में 12 साल से 17 साल की उम्र के लगभग 12 करोड़ बच्चें हैं, लेकिन सबसे पहले उन बच्चों को वैक्सीन दी जायेगी जो किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. इस एज ग्रुप के स्वस्थ बच्चों को टीका के लिए अगले साल मार्च तक इंतजार करना पड़ेगा. कोरोना पर केंद्र सरकार की बनी कमेटी कोविड वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि बच्चों के मानसिक और शारिरिक विकास के लिए स्कूल खोल देने चाहिए.
आपको बता दें कि भारत में कोरोना 12 साल औऱ उपर के बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन की डीसीजीआई की तरफ से अनुमति मिल गयी है. जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी इस साल अक्टूबर के पहले हफ्ते से बच्चों को देने की योजना है. केंद्र सरकार की बनी कोविड वर्किंग ग्रुप कमेटी के चेयरमैन डॉ. एन के अरोरा के मुताबिक कंपनी ने कहा है कि ये जायकोव डी अक्टूबर के पहले हफ्ते से वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल होने के लिए कहा है. यानी अब एक उम्मीद जगी है कि 18 साल से उपर के लोगों को टीका तो दिया ही जा रहा है पर जल्द ही बच्चों को भी टीकाकरण अभियान में शामिल कर लिया जायेगा, लेकिन टीका 12 साल या उससे उपर के सभी बच्चों को अक्टूबर से नहीं दिया जायेगा. गंभीर बीमार बच्चों को टीका देने में प्राथमिकता दी जायेगी. गंभीर बीमार की श्रेणी मे कौन-सी बीमारी शामिल होगी, इसके लिए जल्द नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप आन इम्युनाइजेशन की बैठक होगी, जिसमें लिस्ट तैयार की जायेगी.
केंद्र सरकार की देश में 18 साल से उपर के सभी लोगों को इस साल आखिर तक कोरोना का टीका दे दिया जाय। यानी अक्टूबर से गंभीर बीमार बच्चों को टीका दिया जायेगा और स्वस्थ्य बच्चों को अगले साल फरवरी के बाद वैक्सीन देने की योजना है।ऐसा इसलिए क्योंकि जानकारों का मानना है कि स्वस्थ्य बच्चों में कोरोना संक्रमण होने पर अस्पताल में भर्ती होने या फिर मौत की आशंका बेहद कम होती है।एक्सपर्ट्स ये भी कह रहे हैं कि एक संक्रमित वयस्क बच्चों के मुकाबले 10 से 15 गुना ज्यादा अस्पताल में भर्ती होने या फिर मौत की आंशका होती है।
केंद्र सरकार की बनी कमेटी कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डा एन के अरोरा के मुताबिक स्कूल खोलने के लिए बच्चों को टीकाकरण की जरुरत नहीं है।जरुरत ये है कि जिन घरों में बच्चे हैं वहां सभी माता-पिता और घर के दूसरे वयस्क टीका लगवा लेना चाहिए और साथ ही साथ स्कूल में टीचर और बाकी स्टाफ को दे देना चाहिए। इस तरीके से बच्चा एक सुरक्षित आवरण में रहता है। बच्चों के मानसिक औऱ शारीरिक विकास के लिए एक्सपर्ट्स स्कूल खोलने की सलाह दे रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक कोरोना की पहली और दूसरी लहर के जो भी वैज्ञानिक साक्ष्य हैं उसमें पाया गया है कि बच्चों में कोरोना से संक्रमित बच्चो में गंभीर समस्या नही होती है।कोरोना का संक्रमण माइल्ड या बिना लक्षण का होता है। अस्पताल दाखिल होने या फिर डेथ की संभावना ना के बराबर होती है।लेकिन बच्चों में संक्रमण बड़ो जैसा ही होता है वो गंभीर तो नहीं होंगे लेकिन दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं।इन सब बातों पर गौर करते हुए सबसे पहले बड़ी उम्र के लोगों को और गंभीर बीमार बच्चों को टीका देने का लक्ष्य है।