पटना – सुधीर कुमार
पटना पुलिस ने इंडिगो स्टेशन मैनेजर रूपेश कुमार सिंह की हाईप्रोफाइल मर्डर केस मामले का पर्दाफाश करने का दावा किया है. पटना एसएसपी ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि 12 जनवरी की शाम 6.58 पर उनकी हत्या की गई थी. इस मामले में पचास से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है. उनके फोन नंबर खंगाले गए, जिससे पता चला कि अपराधियों ने रूपेश सिंह की हत्या के लिए 4 बार प्रयास किया था और अन्त में 12 जनवरी की शाम घटना को अंजाम देकर चारों अपराधी फरार हो गये. एक गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ और सीसीटीवी से मिले सबूत के बाद पुलिस ने दावा किया है कि यह हत्या रोडरेज के विवाद की वजह से हुआ है. 20 दिन की जांच के बाद पुलिस ने हत्यारोपी को मंगलवार को गिरफ्तार किया था. बता दें कि रूपेश की हत्या 12 जनवरी की शाम उनके अपार्टमेंट के बाहर हुई थी. इस हत्याकांड के बाद बिहार की सियासत में उबाल आ गया था.
पटना एसएसपी उपेन्द्र कुमार शर्मा ने दावा किया है कि यह हत्या रोड रेज की वजह से हुई है. नवम्बर महिने में रूपेश और आरोपी के बीच इसको लेकर विवाद हुआ था. रूपेश ही हत्या के लिये आरोपी ने इससे पहले भी चार बार प्रयास किया था, लेकिन 12 जनवरी को मौका मिलते ही उसने रूपेश के उपर गोलियों की बौछार कर दी. उपेन्द्र शर्मा के मुताबिक गिरफ्तार अपराधी ने पूछताछ में बताया कि नवम्बर 2020 में एयरपोर्ट रोड में एलजेपी आँफिस के पास रोडरेज की घटना हुई थी. उसी वजह से इसने रूपेश सिंह की हत्या कर दी.
गिरफ्तार अपराधी का नाम रितुराज है. रितुराज पटना के आदर्श नगर में रहता है. आदर्श नगर रोड नंबर दो निवासी मनाेरंजन के बेटे रीतुराज को पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है कि इसी शख्स ने रूपेश को गोलियां मारी थीं. इस मामले में रीतुराज के तीन और साथियों की तलाश में पुलिस लगी है. ये तीनों भी पटना के ही रहने वाले हैं.
एसएसपी के मुताबिक अपराधियों को नहीं पता था कि जिसकी हत्या करने वाले हैं, वो कौन है. हत्या के अगले दिन अखबारों में खबर देखकर यह पता चला कि रूपेश हाइ-प्रोफाईल व्यक्ति था. एसएसपी ने बताया कि घटना के बाद सभी अपराधी पुनाईचक से दानापुर की और भागे. फिर रितुराज वहां से ऑटो पकड़कर वापस अपने घर पहुँचा और दूसरे दिन मोबाइल बंद कर राँची फरार हो गया था. रूपेश की हत्या करने वाले रीतुराज ने सनराइज यूनिवर्सिटी से बीए किया है. वह कई जगह नौकरी भी कर चुका है. वह काफी दिनों तक दिल्ली में रहा है.
इस मामले में जांच के लिए एक एसआइटी गठित की गई थी. इसके अलावा पटना पुलिस की एक और टीम को भी जांच में लगाया गया था. इस मामले में 50 से अधिक लोगों से व्यक्तिगत तौर पर पूछताछ की गई. करीब 600 मोबाइल नंबरों की डिटेल को खंगाला गया. शुरू में पुलिस ने एक टेंपो स्टैंड के विवाद, ठेकेदारी के विवाद जैसे एंगल से पुलिस ने जांच की. जमीन के धंधे काे लेकर भी पुलिस ने छानबीन की. एसएसपी ने बताया कि इस मामले में एक टेक्निकल टीम एसआइटी से हटकर लगातार जांच करती रही.
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि इनमें से एक शख्स का मोबाइल घटना के दिन करीब डेढ़ बजे ही बंद हो गया था. यह वही लड़का था, जो अपाचे बाइक पर पीछे बैठा था. इस शख्स का मोबाइल घटना के अगले दिन दिन के करीब ढाई बजे बैरिया में थोड़ी देर के लिए ही खुला. इसके बाद इस शख्स का मोबाइल रांची में खुला. पुलिस के मुताबिक रीतुराज को यह मालूम नहीं था कि मरने वाला शख्स इतना बड़े रसूख वाला है. हत्या के अगले दिन जब उसने अखबारों में छपी खबर देखी तो उसने रांची भागने का फैसला किया.
यह मामला राजनीतिक दृष्टि से भी काफी संवेदनशील रहा है। इस हत्याकांड के बाद बिहार में विधि-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं. बिहार में विपक्षी दलों ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया और सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरा. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को गृह विभाग छोड़ने तक की सलाह दे डाली थी. जदयू की सहयोगी पार्टी भाजपा के नेताओं ने भी इस वारदात को लेकर चिंता जताई थी. भाजपा सांसद विवेक ठाकुर ने भी मामले को सीबीआई को सौंपने की वकालत की थी.
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