राजद के एमएलसी प्रो रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता खत्म होगी , विवादों से नाता है पुराना

Rambali Singh

बिहार में जाति की राजनीति के तहत कई माननीय यानी विधायक , विधान पार्षद बनाये जाते रहे हैं, लेकिन इस मामले में इन दिनों कहार (चंद्रवंशी) कोटे से आरजेडी कोटे से बनाये गए एमएलसी रामबली चंद्रवंशी चर्चा में हैं। चर्चा इसलिए है कारण कि उनकी विधान पार्षद की सदस्यता अब जाने वाली है। लालू यादव के करीबी आरजेडी के विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह ने रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की है। इस मामले में रामबली चंद्रवंशी 16 जनवरी को सभापति के सामने जबाब देंगे। रामबली चंद्रवंशी पर आरोप है कि वे पार्टी लाइन के विपरीत बयान दे रहे हैं। इसके अलावे लालू -तेजश्वी यादव के खिलाप भी बयानबाजी कर रहे हैं।

आपको बता दें कि पिछले साल 25 दिसम्बर को राजद के विधान पार्षद प्रो. रामबलि सिंह ने अपनी ही पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद के खिलाफ बड़ी बात कही थी । उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर भी खुलकर कमेंट किया। रामबली सिंह ने कहा था कि नीतीश कुमार ने तीन जातियों को अतिपिछड़ा में डाल दिया। जब इस मुद्दे को लेकर हम लालू प्रसाद यादव के पास गए तो उनकी हिम्मत नहीं हुई कि वे नीतीश कुमार से इस मामले पर बात करें। उन्होंने ये भी कहा कि अति पिछड़ा का हक अगड़ा या पिछड़े वर्ग के लोग मार रहे हैं। मंडल कमीशन के लागू होने के लगभग तीन दशक बाद भी काफी विसंगतियां हैं।

डॉक्टर रंजन यादव के करीबी रहे हैं प्रो रामबली सिंह

बात उन दिनों की है जब बिहार में लालू -राबड़ी देवी का राज-पाठ हुआ करता था। उस दौर में डॉक्टर रंजन यादव , लालू प्रसाद के बाद दूसरे नंबर के नेता माने जाते थे। शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी फैसला रंजन यादव ही करते थे। पटना के कदमकुआं में रंजन यादव के आवास पर क्या कुलपति , प्रोफेसर तमाम शिक्षाविदों की लाइन लगी रहती थी। इसी लाइन में होते थे प्रो रामबली सिंह। कहा जाता है कि रंजन यादव के कृपा से रामबली सिंह को पटना विश्वविद्यालय में नौकरी मिली थी। आज की राजनीति में रंजन यादव , लालू प्रसाद से अलग हैं और रामबली सिंह राजद के एमएलसी हैं , 29 जून, 2020 को चुनाव के बाद से वह बिहार के राजद एमएलसी बनाये गए।

नीतीश और लालू , तेजश्वी पर हमलावर क्यों है रामबली

बिहार 2020 में जब रामबली सिंह राजद एमएलसी बनाये गए तो पिछड़े की राजनीति को लालू प्रसाद ने टारगेट किया था। लेकिन अब ये दांव उल्टा पड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक जब महागठबंधन की सरकार का गठन हुआ तो रामबली सिंह को लगा कि उन्हें मंत्री बनाया जायेगा , लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रामबली सिंह चाहते थे कि उन्हें बिहार का शिक्षा मंत्री बनाया जाय। जब लालू – तेजश्वी प्रसाद ने यादव जाति से आने वाले चंद्रशेखर को शिक्षा मंत्री बनाया गया तो रामबली सिंह नाराज हो गए , तब से वे पार्टी के विरोध में बयानबाजी कर रहे हैं।

करीब दो साल पहले रामबली सिंह एक स्टिंग ऑपरेशन की रिपोर्ट मीडिया में सुर्ख़ियों में रहा था जिसमें रामबली सिंह ने कहा था कि तेजस्वी यादव का बस चले तो दारू एक दिन में चालू करवा दें. तेजस्वी यादव खुद दारू पीते हैं. वो क्यों नहीं चाहेंगे कि दारू चालू हो? एक सवाल पर कि क्या तेजस्वी यादव पीते हैं? इस पर रामबली सिंह ने कहा कि आधे से ज्यादा मंत्री और विधायक पीते हैं. आधे से ज्यादा अफसर पीते हैं. कुछ लोगों को तो नशा है वो बिना पिए नहीं रह सकता है. सच यही है कि लोग दारू पी रहे हैं.

एमएलसी रामबली सिंह चंद्रवंशी पर पर अप्राकृतिक यौनाचार की कोशिश का है आरोप

आपको बता दें कि पिछले साल बिहार में लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के विधानपार्षद रामबली सिंह चंद्रवंशी पर अप्राकृतिक यौनाचार की कोशिश का आरोप लगने के बाद सियासी सनसनी मच गई थी। एमएलसी पर दूसरी बार लगा अप्राकृतिक यौन संबंध का आरोप लगा था.जिसको लेकर पटना के सचिवालय थाने में केस दर्ज हुआ था। करीब 30 साल के एक शख्स ने राजद के एमएलसी रामबली पर उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का प्रयास करने का आरोप लगाया था । अरवल जिले के सोनभद्र का रहने वाला शख्स ने केस कर रखा है। हालाँकि रामबली सिंह का कहना था कि ये उनके खिलाफ एक साजिश है। रामबली का दावा है कि ‘मेरे जिले का रहने वाले कुछ लोग मेरे घर आए और विकास कार्यों के लिए पैसे मांगे। मेरी आर्थिक स्थिति ठीक फिलहाल नहीं है, इसलिए मैंने उन्हें मना कर दिया और वो घर से चले गए। मुझे नहीं पता कि वो युवक मेरी छवि क्यों खराब कर रहा है।’

Jetline

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