न्यूज डेस्क :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्विद्यालय की नींव रखी, जो 92 एकड़ में फैला होगा और इससे लगभग 400 कॉलेज संबद्ध होंगे. अगले दो सालों यानी 2023 तक विश्वविद्यालय बनकर तैयार हो जाएगा. अलीगढ़ के लोधा ब्लॉक के मूसेपुर गांव में राजा महेंद्र प्रताप विवि की आधारशिला रखी गई. विश्वविद्यालय के लिए यूपी सरकार पहले ही 101 करोड़ का बजट जारी कर चुकी है.
इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि कल तक जो अलीगढ़ तालों के जरिए प्रसिद्ध था, वह शिक्षा और सुरक्षा के लिए जाना जाएगा. इससे पहले प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे के अलीगढ़ नोड और राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के मॉडलों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया. इस मौके पर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे.
कौन है राजा महेंद्र प्रताप सिंह ?
इतिहास के पन्नों में “जाट आइकॉन” के प्रतीक राजा महेंद्र प्रताप सिंह शैक्षिक-सामाजिक परिवर्तन के लिए जाने जाते हैं. वे अपने देशप्रेम और त्याग के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहे. इतिहासकारों का कहना है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने ब्रिटिश सरकार का विरोध किया था. वर्ष 1914 के प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान वह अफगानिस्तान भी गए थे और 1915 में आज़ाद हिन्दुस्तान की पहली निर्वासित सरकार बनवाई थी. इसके 28 साल बाद सुभाष चंद्र बोस ने उन्हीं की तरह आजाद हिंद सरकार का गठन सिंगापुर में किया था. एक समय तो उन्हें नोबल शांति पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया था. अलीगढ़ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना में उन्होंने भू-दान किया, भले ही उन्हें सम्मान न दिया गया हो, लेकिन अब उसी अलीगढ़ में “जाटलैंड के नायक” के नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना हो रही है. बता दें कि 14 सितंबर 2019 को ही सीएम योगी आदित्यनाथ कहा था कि तुष्टिकरण की राजनीति के चलते उपेक्षित कर दिए गए राजा महेंद्र प्रताप सिंह को यथोचित सम्मान दिलाएंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि “राजा महेंद्र प्रताप ने अपनी पूरी सम्पत्ति दान कर दी मगर उनके साथ न्याय नहीं हुआ. उन्हें भुला दिया गया.”
अगर देश के दो बड़े विश्वविद्यालयों के इतिहास की तुलना करें तो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, दोनों की स्थापना में क्षेत्रीय राजाओं ने भूमि दान की थी, मगर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैय्यद अहमद खान ने भूमि दान देने वाले राजा महेंद्र प्रताप सिंह को भुला दिया जबकि पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी नरेश के योगदान को सदैव याद रखा.
राजा महेन्द्र प्रताप सिंह विश्विद्यालय की खासियत
राजा महेन्द्र प्रताप सिंह विश्विद्यालय महल की तरह तैयार होगा, जिसका मुख्य द्वार विशाल होगा और उसपर नक्काशी होगी. यह विश्विद्यालय 94 एकड़ जमीन पर फैला होगा. इस विश्विद्यालय से
400 के करीब महाविद्यालय सम्बद्ध होंगे. 2023 तक विश्वविद्यालय का काम पूरा होना है. इस विश्वविद्यालय को देश के श्रेष्ठ विश्विद्यालयों के समान बनाया जायेगा. यह विश्वविद्यालय अलीगढ़ को शिक्षा के क्षेत्र में नई पहचान दिलाएगा.