राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाने के लिए राजस्थान में फरवरी में हो सकता है कांग्रेस अधिवेशन

सी एन मिश्रा

पूर्णकालिक अध्यक्ष की कमी से जूझ रही कांग्रेस पार्टी की कमान एक बार फिर राहुल गांधी को सौंपी जाने की तैयारी चल रही है । राजस्थान में फरवरी के महीने में कांग्रेस का अधिवेशन बुलाया जा सकता है
यह अधिवेशन नीमराना या जैसलमेर में आयोजित हो सकता है। इसी दौरान बतौर अध्यक्ष राहुल गांधी की ताजपोशी होगी। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अपने अध्यक्ष पद के चुनाव को अमलीजामा पहना सकती है। वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता वाले केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली है। कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) के चुनाव कार्यक्रम पर मुहर लगाने के साथ पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

राहुल गांधी 16 दिसंबर 2017 से 10 अगस्त 2019 तक कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद पद से इस्तीफा दे दिया था। तब राहुल पार्टी नेताओं के मनाने पर भी वापस पार्टी अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं हुए थे। कांग्रेस चुनाव समिति ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से अधिवेशन बुलाने की जगह और समय तय करने की अपील की है। इसके साथ ही चुनाव में हिस्सा लेने वाले AICC के सदस्यों की लिस्ट फाइनल करने का काम भी आखिरी फेज में हैं। सोनिया की मंजूरी मिलते ही कांग्रेस के अधिवेशन की जगह और समय तय कर दिया जाएगा।
करीब दो महीने पहले गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि फाइव स्टार कल्चर से चुनाव नहीं जीते जा सकते। आज नेताओं के साथ यह दिक्कत है कि अगर उन्हें टिकट मिल जाता है तो वे सबसे पहले फाइव स्टार होटल बुक करते हैं। अगर सड़क खराब है तो वे उस पर नहीं जाएंगे। आजाद ने कहा था कि जब तक इस कल्चर को छोड़ नहीं दिया जाता तब तक कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता। पिछले 72 साल में कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर है। कांग्रेस के पास पिछले दो कार्यकाल के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद भी नहीं है।

कुछ महीने पहले पार्टी के 23 नेताओं ने इस मसले पर सोनिया गांधी को चिट्‌ठी भी लिखी थी। इनमें कपिल सिब्बल के साथ गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे। चिट्ठी में पार्टी में ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग की गई थी।इस चिट्‌ठी में नेताओं ने सोनिया गांधी से ऐसी फुल टाइम लीडरशिप की मांग की थी, जो फील्ड में एक्टिव रहे और उसका असर भी दिखे। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि फुलटाइम लीडरशिप और फील्ड में असर दिखाने वाली एक्टिवनेस जैसे शब्दों का इस्तेमाल इस तरफ इशारा करता है कि कांग्रेस का एक गुट दोबारा राहुल गांधी की ताजपोशी नहीं चाहता था।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाए जाने से सिब्बल और आजाद नाराज हो गए थे। बिहार चुनाव में हार के बाद कपिल सिब्बल ने तो यहां तक कह दिया था कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में हार को ही नियति मान लिया है। उनके इस बयान को पार्टी की टॉप लीडरशिप यानी सोनिया और राहुल गांधी पर निशाना माना गया था।

वर्तमान में कांग्रेस कृषि कानूनों को लेकर मैदान में है। इससे पहले, दिल्ली में राहुल और प्रियंका गांधी ने उप-राज्यपाल के बंगले का घेराव किया था। इसके बाद पंजाब के किसानों के जंतर मंतर पर धरने में भी कांग्रेस शामिल हुई थी।अब पार्टी कृषि कानूनों को आम आदमी की भाषा में समझाने की तैयारी में है। कांग्रेस ने कृषि कानूनों पर एक बुकलेट जारी करने की तैयारी भी की है। यह बुकलेट कई भाषाओं में होगी। कांग्रेस 18 जनवरी को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे जारी कर सकते हैं।

Jetline

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *