दिल्ली : डॉ. निशा सिंह
पंजाब कांग्रेस में नवजोत सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के बीच लड़ाई से क्या बीजेपी को आने वाले विधान सभा चुनाव में फायदा मिल सकता है ? लड़ाई के अंत के बारे में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कैप्टन कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. इधर सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर के बीच जारी झगड़ा चंडीगढ़, दिल्ली के रास्ते अब देहरादून पहुँच गया है. पंजाब के चार मंत्री और तीन विधायक अभी पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत से मिलने देहरादून पहुंचे हैं. ये लोग कैप्टन से नाराज हैं. इन लोगों के बीच आज मीटिंग होगी. हरीश रावत पहले ही कैप्टन और सिद्धू के बीच सुलह कराने का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन बात अभी तक वहीं की वहीं है. यानी लड़ाई आर पार का बना हुआ है.
सिद्धू को तरजीह मिलने से मुख्यमंत्री अमरिंदर नाराज, अब आर-पार के मूड में
कांग्रेस पार्टी अमरिंदर की जगह सिद्धू को तरजीह दे रही है. सिद्धू का राजनीति में अभी इतना मजबूत पकड़ नहीं कि वे पार्टी को अपने दम पर खड़ा रख सके और चुनाव में जीत करा सके. अमरिंदर के नहीं चाहते हुए भी कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप से पंजाब के अध्यक्ष बने सिद्धू अब मुख्यमंत्री अमरिंदर के खिलाफ खेमा बनाकर अपनी जमीन को मजबूत करने पर काम कर रहे हैं. पंजाब में कांग्रेस को अपने दम पर सत्ता दिलाने वाले अमरिंदर अब कांग्रेस नेतृत्व से काफी खफा हैं. दिल्ली और चंडीगढ़ में मीटिंग पर मीटिंग होने के बाद भी अभी तक विवाद शांत नहीं हुआ है. नए प्रभारी हरीश रावत सिद्धू के पक्ष में खड़े हैं और अमरिंदर को कमजोर करने में जुटे हैं. हरीश रावत को जब पंजाब मामलों का प्रभारी बनाया गया तो लगा कि वह कांग्रेस में चल रहे आंतरिक कलह को शांत करने में अहम भूमिका निभाएंगे. उनकी छवि एक ऐसे नेता की थी, जिनकी बात को कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसा दिग्गज भी काट न पाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसा नहीं कि उन्होंने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे नेताओं के बीच रिश्तों में जमी बर्फ को वह पिघला नहीं पाए.
तो कैप्टन अमरिंदर कांग्रेस का नहीं बल्कि बीजेपी का चेहरा हो सकते हैं !
जिस तरह कांग्रेस हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद भी अभी तक सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर के बीच शाह-मात का खेल खत्म नहीं हो रहा है इससे अब ये कयास लगने लगे हैं कि इस लड़ाई का अंत क्या कैप्टन के कांग्रेस के छोड़ने के बाद खत्म होगा ? कुछ मंत्रियों और विधायकों के कैप्टन के खिलाफ जाने की ख़बरों के बाद अब कांग्रेस के लिए हालात और भी मुश्किल होता जा रहा है. पंजाब चुनाव के पहले अगर ये विवाद नहीं सुलझा तो कांग्रेस को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. कयास ये लगाया जाने लगा है कि पंजाब चुनाव में कैप्टन अमरिंदर कांग्रेस का नहीं बल्कि बीजेपी का चेहरा हो सकते हैं. आपको बता दें कि पिछले दिनों कैप्टन अमरिंदर ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से मुलाकात की थी. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 10 अगस्त को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के एक दिन बाद 11 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की. इस दौरान अमरिंदर ने विवादित तीन नए कृषि सुधार संबंधी कानूनों को वापस लेने और किसानों को मुफ्त कानूनी सहायता श्रेणी में लाने के लिए संशोधन करने की मांग की. कहने को तो ये मुलाकात सरकार के काम-काज को लेकर हुई थी, लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कांग्रेस के झगड़े के बीच में मुलाकात कई सन्देश भी दे चुका है।