दिल्ली :
केंद्र श्रम क़ानूनों की जगह लेने वाले जिन नये लेबर कोड की अधिसूचना जारी करने की तैयारी में है, उसके विरोध में ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल की चेतावनी दी है. विपक्षी खेमे के 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक प्लेटफॉर्म ने केंद्र को चेताया है कि यदि केंद्र चार लेबर कोड यानी श्रम संहिताओं को अधिसूचित करता है तो वे आम हड़ताल करेंगे. इन संगठनों का कहना है कि यह नए कोड उनके अधिकारों का उल्लंघन करता है.
इन 4 लेबर कोड्स में वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं (OSH) पर संहिता और सामाजिक व व्यावसायिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं. केंद्र सरकार ने मौजूदा श्रम क़ानूनों को चार कोड यानी संहिताओं से बदलने का प्रस्ताव रखा है और पिछले महीने ही श्रम मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 31 मार्च 2025 तक चार लेबर कोडों के नियम का मसौदा तैयार करना है.
ये प्रस्तावित नया लेबर कोड श्रम क़ानूनों की जगह लेंगे. श्रम कानून दशकों पहले बने थे और तब से दुनिया और बाज़ार में काफी बदलाव आए हैं. केंद्र सरकार का कहना है कि श्रम क़ानूनों को आसान बनाने के लिये और कार्य-स्थिति में सुधार के लिये सरकार द्वारा कई विधायी और प्रशासनिक पहलें की गई हैं. कम-से-कम पिछले 17 वर्षों से श्रम पर विचाराधीन 44 केंद्रीय क़ानूनों को 4 कोडों में सरल बनाने का प्रयास किया गया है. इसे अभी लागू किया जाना है.
आपको बता दें कि श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन का मुद्दा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की बजट पूर्व बैठक में उठा था. जहाँ 10 यूनियनों ने उनसे श्रम संहिताओं को लागू न करने के लिए कहा, वहीं सरकार समर्थक भारतीय मजदूर संघ और कुछ अन्य यूनियनों ने उनसे कम से कम दो श्रम संहिताओं-वेतन संहिता और सामाजिक सुरक्षा संहिता के नियमों को अधिसूचित करने के लिए कहा.
