न्यूज डेस्क
किसानों और राजनीतिक दलों के लगातार विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज मॉनसून सत्र में संसद से पास किसानों और खेती से जुड़े बिलों पर अपनी सहमति दे दी है. किसान और राजनीतिक दल इस विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे लेकिन उनकी अपील किसी काम न आई. राष्ट्रपति ने जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा बिल 2020 पर भी अपनी सहमति दे दी है.
केंद्र की मोदी सरकार में सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल भी इस बिल के विरोध में खड़ी हो गयी . संसद में बिल का विरोध किया, फिर केंद्र में मंत्री रहीं हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं देखने से नाराज अकाली दल ने खुद को अब एनडीए से भी समर्थन वापस कर लिया. अकाली दल के अलावा कांग्रेस समेत कई अन्य दलों ने लगातार कृषि बिल का विरोध किया और राष्ट्रपति से अपील भी की थी कि वो इस पर दस्तखत न करें, लेकिन उनकी अपील काम नहीं आई.संसद के मॉनसून सत्र में लाए गए कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को पहले संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिल चुकी है. अब इस पर राष्ट्रपति की मुहर भी लग चुकी है. ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे.
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