न्यूज डेस्क :
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पर ब्रिटेन के ग्लास्गो में हो रहे COP26 के मंच से नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मजबूती से भारत के संकल्पों को जताने के साथ ही अब तक इस मुद्दे पर हुई वादाखिलाफियों को भी बताया. पीएम मोदी ने तत्काल एक ट्रिलियन डॉलर के क्लाइमेट फाइनेंस कोष को बनाने पर बल देने के साथ ही बेहतर भविष्य के लिए लाइफस्टाइल फॉर एंवर्नमेंट का भी मंत्र दिया. उन्होंने पहली बार भारत को 2070 तक नेट कार्बन-जीरो अर्थव्यवस्था बनाने का भी बड़ा ऐलान किया. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की 17 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में उसकी हिस्सेदारी केवल 5 प्रतिशत है. फिर भी भारत ने 2015 के पेरिस समझौते में किए वादों का ईमानदारी से पालन किया है.
पेरिस में जताए भारत के संकल्पों से आगे जाते हुए पीएम ने ऐलान किया कि भारत 2030 तक अब 500 गीगावाट बिजली उत्पादन गैरपारंपरिक ऊर्जा संसाधनों से करेगा. इसके अलावा अपने ऊर्जा मिक्स में 50 फीसदी तक अक्षय ऊर्जा संसाधनों को बनाएगा. बता दें कि भारत ने 2015 में 2030 तक पहले 175 गीगावाट और फिर 450 गीगावाट बिजली उत्पादन गैर पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों से करने का लक्ष्य रखा था और एनर्जी मिक्स में गैर फॉसिल फ्यूल की हिस्सेदारी 40 फीसद तक ले जाने का लक्ष्य था.
2030 तक भारत कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती
कॉप 26 बैठक में भारत ने सम्भावित कार्बन उत्सर्जन में 2030 तक 1 बिलियन टन की कटौती का भी ऐलान किया. इतना ही नहीं पेरिस में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेंसिटी में 2005 स्तर से 33-35 प्रतिशत कटौती की घोषणा को भी अब बढाकर 45 प्रतिशत करने का ऐलान किया है. पीएम मोदी ने भारत के सांस्कृतिक संस्कारों में पर्यावरण संरक्षण का हवाला देते हुए कहा कि भारत इस वैश्विक चुनौती से मुकाबले में पूरा योगदान करने और सब के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है.
विदेश सचिव ने कहा कि भारत ने यह फैसला किसी के दबाव में नहीं लिया है. बल्कि आने वाला समय यह बताएगा कि भारत ने अपने पीक तक पहुंचने से पहले ही नेट कार्बन का लक्ष्य तय कर लिया है. बता दें कि दुनिया के कई देशों ने 2050 तक नेट कार्बन जीरो की बात की है. भारत का पड़ोसी चीन ने 2060 तक कार्बन उत्सर्जन नेट जीरो का लक्ष्य घोषित किया था. पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि कार्रवाई उन देशों के खिलाफ होनी चाहिए जिन्होंने क्लीमेट फाइनेंसिंग के अपने वादे पूरे नहीं किए हैं और क्लाइमेट फाइनेंसिंग के लिए मानक बनाए जाने चाहिए. गौरतलब है कि विकसित देशों की तरफ से प्रतिवर्ष 100 अरब डॉलर की क्लाइमेट फाइनेंसिंग उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था. ताकि विकासशील देश हरित तकनीकों को अपना सकें.
पीएम ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए लाइफ का मंत्र दिया
प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने और बेहतर भविष्य के लिए लाइफ यानी लाइफस्टाइल फॉर एंवर्नमेंट (पर्यावरण मित्र) जीवनशैली को वैश्विक आंदोलन बनाने का भी आह्वान किया. इसके तहत संसाधनों के दुरुपयोग के बजाए उनके उचित और किफायती इस्तेमाल पर जोर देने, परिवहन से लेकर रोजमर्रा इस्तेमाल के समान, हॉस्पिटैलिटी से लेकर प्रौद्योगिकी तक हर क्षेत्र में सजग चयन किया जाए. जरूरत के आधार पर चुनाव से न केवल जलवायु परिवर्तन पर दबाव कम होगा बल्कि संसाधनों का भी बेहतर इस्तेमाल सम्भव होगा. विश्वबैंक के मुताबिक यदि तत्काल कदम न उठाए गए तो 2050 तक दुनिया में कचरे का बोझ 70 फीसद बढ़ जायेगा.
यह भी एक सच्चाई हैं कि 16 प्रतिशत आबादी वाले विकसित देश 34 फीसदी से अधिक कचरे के लिए जिम्मेदार हैं. यानी इन देशों में उपभोग की जीवनशैली इस्तेमाल से ज्यादा बर्बादी कर रही है. स्वाभाविक तौर पर इसका खामियाजा विकाशील देशों को उठाना पड़ रहा है. पीएम मोदी ने इसे खत्म करने का आह्वान किया है.
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