देश के 169 शहरों में शुरू होगी पीएम ई-बस सेवा, सड़कों पर दौड़ेंगी 10 हजार इलेक्ट्रिक बसें

PM e-bus service starts

पीएम ई- बस सेवा के तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के अंतर्गत 169 शहरों को 10000 इलेक्ट्रिक बसें उपलब्ध करायी जाएंगी. यह योजना अगले पांच-छह महीनों में शुरू हो जाएगी. इस योजना की अनुमानित लागत 57,613 करोड़ रुपये होगी, जिसमें से 20,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार देगी और शेष राशि राज्य सरकार देगी.

‘पीएम-ईबस सेवा’ योजना के अंतर्गत देश के 169 शहरों को 10,000 इलेक्ट्रिक बसें उपलब्ध कराई जाएंगी. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत शुरू होने वाली यह योजना अगले पांच-छह महीनों में शुरू हो जाएगी. केंद्रीय शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी. इसके लिए 30 सितंबर तक प्रस्ताव जमा करने होंगे.

मेट्रो जैसी होंगी इलेक्ट्रिक बसें

आवास और शहरी मामलों के सचिव, मनोज जोशी ने कहा कि इसके लिए दिशानिर्देश दो दिन पहले जारी कर दिए गए थे. अधिकारी ने कहा ये बसे पूरी तरह से आरामदायक और सुविधाओं से लैस होगी. इन इलेक्ट्रिक बसों में लोग मेट्रो जैसा अनुभव कर सकेंगे. इतना ही नहीं इन बसों के टिकट भी ऑटोमेटिक फेयर सिस्टम के जरिए लोग ले सकेंगे. इस योजना के तहत बसों को चलाने वाले ऑपरेटरों को प्रति किलोमीटर 20-40 रुपये का भुगतान किया जाएगा.

पीपीपी मॉडल की इस योजना की लागत 57 हजार करोड़ रुपये

केंद्रीय शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इस योजना में केंद्र, राज्य सरकार और सेवा प्रदाता शामिल हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगस्त महीने के शुरुआत में ही इस योजना को मंजूरी दे दी थी. इस योजना की अनुमानित लागत 57,613 करोड़ रुपये होगी, जिसमें से 20,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा दिए जाएंगे और शेष राशि राज्य देगी. उन्होंने कहा कि पीएम ई-बस योजना बहुत अच्छा काम करेगी.

देश के इन शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी

पीएम ई-बस योजना में उन शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां व्यवस्थित बस सेवा नहीं है. इस योजना के दो भाग होंगे- 169 शहरों में सिटी बस सेवाओं को बढ़ाना और 181 शहरों में हरित शहरी गतिशीलता की पहल करना. तीन लाख से 40 लाख तक की आबादी वाले शहरों में ई-बसें उपलब्ध कराई जाएंगी. फिलहाल यह योजना 2037 तक जारी रहेगी. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस महीने की शुरुआत में ही कहा था कि इस योजना के लिए शहरों को एक चुनौती के माध्यम से चुना जाएगा. केन्द्र सरकार के 20,000 करोड़ रुपये में से 15,930 करोड़ रुपये बसों के लिए, 1,506 करोड़ रुपये हरित शहरी गतिशीलता के लिए, 2,264 करोड़ रुपये बुनियादी ढांचे के विकास और बैक-एंड सुविधाओं के लिए दिये जाएंगे.

दिल्ली : डॉ. निशा सिंह

Jetline

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