सीवान के जिला प्रशासन पर पटना हाईकोर्ट ने लगाया 50 हजार का जुर्माना

Penalty on Siwan District Administration by Patna HC

सीवान: संवाददाता

सीवान जिला प्रशासन पर पटना हाईकोर्ट ने अवमानना के मामले में 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. यह आदेश गुरुवार (22 जून) को जारी हुआ है, जिसमें कहा गया है कि जुर्माने की राशि दो महीने के भीतर जमा करनी है. यह राशि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा जाएगा. बता दें कि मई में भी जिला पदाधिकारी सीवान और अंचल पदाधिकारी दारौंदा पर हाईकोर्ट ने 25-25 हजार रुपये का बेलेबल वारंट जारी किया था.

बीते छह सालों से पटना हाईकोर्ट के आदेश को दबाकर रखने के बाद जब हाईकोर्ट सख्त हुआ तो दारौंदा बाजार, ब्लॉक की जमीन और श्मशान की भूमि से अतिक्रमण हटाने की काम शुरू किया गया. हालांकि अतिक्रमण हटाने में दारौंदा अंचल पदाधिकारी और जिले के तमाम पदाधिकारी असफल ही रहे हैं. इसके बाद हाईकोर्ट ने फर्जी जमाबंदी समेत दूसरी सभी समस्याओं को दूर करने और अंचल पदाधिकारी को अतिक्रमण हटाने के लिए जिला जिला पदाधिकारी को चार महीने का समय दिया.

ये है पूरा मामला !

दारौंदा बाजार, प्रखंड कार्यालय और श्मशान की जमीन को बचाने के लिए स्थानीय कार्यकर्ता वीरेंद्र ठाकुर साल 2009 से सरकार का ध्यान आकृष्ट करते रहे है और साल 2017 में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए लोकहित याचिका भी CWJC 2925/2017 पटना हाई कोर्ट में दायर की थी. इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए छह महीने के भीतर अतिक्रमण हटाने का आदेश प्रशासन को दिया था. हालांकि अतिक्रमण हटाने के बजाए कई नए मार्केट हाईकोर्ट के आदेश के बाद बन गए. इसकी जानकारी याचिकाकर्ता ने राजस्व विभाग पटना को कई बार दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस बीच 2019 में कुछ अतिक्रमणकारियों ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका CWJC 13279/2019 दायर कर दी, जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए अपने पूर्व के आदेश को जारी रखा, लेकिन जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने में रुचि ही नहीं लिया. इसके बाद याचिकाकर्ता वीरेंद्र ठाकुर ने कोर्ट के अवमानना का मामला MJC 3097/2019 दायर किया.

सरकार को हो रहा है आर्थिक नुकसान

दारौंदा बाजार की जमीन पर पटना हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुए कई मार्केट कॉम्पलेक्स बन गए हैं, जिनमें तीन सरकारी बैंक भी शामिल है. इसका राजस्व सरकार को नहीं, बल्कि निजी लोगों को जाता है. इसके साथ कई निजी मार्केट हैं. कुल मिलाकर निजी मार्केट में 100 से अधिक दुकानें हैं और एक दुकान का किराया दो हजार रुपये से उपर है. इसके अलावा कई लोगों ने कब्जा कर खुद के लिए दुकान बना ली है. इतना ही नहीं सरकार की जमीन को भू माफिया फर्जी तरीके से रजिस्ट्री भी करवा चुके हैं, जबकि कानूनन सरकारी भूमि की खरीद बिक्री नहीं हो सकता है.

अतिक्रमण हटाने लिए पहले भी हुआ असफल प्रयास

सीवान जिलाधिकारी और अंचल पदाधिकारी के उपर जब 25-25 हजार रुपये का बेलेबल वारंट जारी हुआ तो जिले में नए आए जिला पदाधिकारी ने इस पर संज्ञान लिया. अंचल पदाधिकारी को हाईकोर्ट के आदेश के पालन सख्ती से करने को कहा गया. इसके बाद अतिक्रमण हटाने के लिए हर बार 35 सेक्शन फोर्स की मांग जिला प्रशासन से की गई, लेकिन भारी संख्या में पुलिस बल होने के बाद भी अतिक्रमण हटाने के लिेए जरूरी संसाधनों की व्यवस्था अंचल पदाधिकारी की तरफ से नहीं हो पाया और एक या दो जेसीबी के माध्यम से अतिक्रमण हटाने की खानापूर्ति कर दी गई.

ये है याचिकाकर्ता की मांग

इस मामले पर याचिकाकर्ता का कहना है कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर आज भी माननीय कोर्ट को अंचल पदाधिकारी के द्वारा बरगलाया जा रहा है और कुछ लोगों का अतिक्रमण आधा अधूरा हटाया गया है. इसकी जांच स्वयं जिला पदाधिकारी को करनी चाहिए, क्योंकि अनुमंडल में भी अंचल पदाधिकारी के रिश्तेदार ही कार्यरत हैं. इतना ही नहीं ब्लॉक की जमीन से अतिक्रमण नहीं हटाया गया. कुछ बड़े लोग है जिनको बचाया जा रहा है और गरीब मजदूर को जानबुझकर टारगेट किया जा रहा है. डीएम को आवदेन दिया गया है, लेकिन कुछ हो नहीं रहा है.

Jetline

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