दिल्ली: डॉ निशा सिंह
कोरोना के केस कम होते ही केंद्र सरकार जुलाई के मध्य में संसद के मानसून सत्र का आयोजन करने की तैयारी कर रही है. सूत्रों के अनुसार, संसद का मानसून सत्र जुलाई में शुरू होगा. संसदीय समितियों का कामकाज 16 जून से शुरू होने की उम्मीद है. सूत्रों के मुताबिक 15 जुलाई से मानसून सत्र शुरू हो सकता है. अप्रैल-मई में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिए मार्च में संसद के बजट सत्र की अवधि घटा दी गई थी. यहां तक कि पिछले साल कोविड-19 संकट के चलते संसद के शीत और बजट सत्र का एक साथ आयोजन किया गया था.
संसदीय मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि सदन की कार्यवाही की बारिकियों को लेकर अभी और काम करने की जरूरत है, लेकिन हम सामान्य सत्र आयोजित करने की उम्मीद रखते हैं. सूत्रों ने बताया कि सत्र पूरी अवधि का होगा या फिर पूरे चार हफ्तों का होगा. उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही बुलाने का काम सरकार का है और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति सदन की कार्यवाही की तारीख तय कर सकती है.
गौरतलब है कि संसद में 40 से अधिक विधेयकों और पांच अध्यादेशों के लंबित है. इनमें- प्रमुख हवाई अड्डों को नामित करने के लिए एक विधेयक, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए प्रस्तावित कानून, बाल संरक्षण प्रणाली को मजबूत करना, और एक अंतरराज्यीय नदी जल विवाद निवारण समिति की स्थापना शामिल हैं.
कोरोना की दूसरी लहर के धीमे होने के साथ ही सामान्य कार्यक्रम के तहत जुलाई में संसद का मानसून सत्र शुरू करने पर सरकार विचार कर रही है. गौरतलब है कि इससे पहले तीन संसद सत्रों को कोरोना के ही चलते छोटा करना पड़ा था। वहीं दोनों सदनों में शीतकालीन सत्र को पूरी तरह से छोड़ दिया गया था। मानसून सत्र आमतौर पर जुलाई में आयोजित किया जाता है.
कोविड -19 की दूसरी लहर के कारण बजट सत्र को समय से पहले खत्म करने के बाद केंद्र सरकार ने पांच अध्यादेश जारी किए. होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश, भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अध्यादेश, दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) अध्यादेश और न्यायाधिकरण सुधार (तर्कसंगतीकरण और सेवा की शर्तें) अध्यादेश वर्तमान में लागू है. इन अध्यादेशों को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाएगा, क्योंकि संविधान इसके लिए संसद सत्र की शुरुआत से केवल छह सप्ताह का समय देता है.
अभी संसद में लंबित बिल कौन है
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (संशोधन) विधेयक: अधिनियम के तहत, रखरखाव न्यायाधिकरण बच्चों को उनके माता-पिता के लिए प्रति माह ₹ 10,000 तक का भुगतान करने का निर्देश दे सकता है. किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक: विधेयक बाल संरक्षण व्यवस्था को मजबूत करने के उपायों की मांग करता है. सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक: इसके तहत प्रत्येक सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी क्लिनिक और बैंक को भारत के बैंकों और क्लीनिकों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री के तहत पंजीकृत होना चाहिए. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च बिल: ये बिल अहमदाबाद, हाजीपुर, हैदराबाद, कोलकाता, गुवाहाटी और रायबरेली में स्थित छह निकायों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करने के लिए है.
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