Delhi News : इंटर स्टेट सेल, क्राइम ब्रांच की एक टीम ने दिल्ली और एनसीआर में सक्रिय एक अंतर्राष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया है और बांग्लादेश के मूल निवासी किंग पिन रसेल सहित सिंडिकेट के 7 सदस्यों को गिरफ्तार किया है.
दिल्ली क्राइम ब्रांच के उप पुलिस आयुक्त अमित गोयल ने बताया किनआरोपी व्यक्तियों के कब्जे से, विभिन्न तरह की 23 मोहरें, किडनी प्रत्यारोपण के रोगियों और दाताओं की जाली फाइलें, भारतीय राष्ट्रीयता के जाली आधार कार्ड आदि सहित बहुत सारी आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई। बता दें कि 16 जून को विश्वसनीय स्रोतों से एक सुसंगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्यों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई, जो अवैध किडनी प्रत्यारोपण में शामिल हैं. इसी के आधार पर पुलिस ने छापेमारी की और बांग्लादेश के मूल निवासी 4 आरोपी रसेल, रोकोन, सुमोन मिया के साथ ही त्रिपुरा के निवासी रतेश पाल को पकड़ लिया गया. उनके कहने पर तीन किडनी चाहने वालों और तीन दाताओं की पहचान की गई। तदनुसार, कानून की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया और सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया.
पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने कबूल किया कि वे बांग्लादेश में डायलिसिस केंद्रों पर जाकर बांग्लादेश के किडनी रोग से पीड़ित मरीजों को निशाना बनाते थे. उन्होंने बांग्लादेश से डोनर की व्यवस्था की, उनकी गरीबी का फायदा उठाया और उनका फर्जी दस्तावेज बनाकर किडनी निकलवा लेते थे, जिसमें एक सर्जन डॉ. विजया राजकुमारी भी शामिल हैं. रैकेट में शामिल अधिकांश लोग 12 वीं तक पढ़े हैं. इनमें से कई लोगों ने अपनी किसने को भी पैसे के लिए बेच दिया है. छापेमारी के दौरान विभिन्न प्रमुखों अर्थात डॉक्टर, नोटरी पब्लिक, वकील आदि के 23 टिकट, किडनी रोगियों और दाताओं की 06 जाली फाइले, अस्पतालों के जाली दस्तावेज, जाली आधार कार्ड, जाली स्टिकर, खाली स्टाम्प पेपर, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क, 02 लैपटॉप जिसमें आपत्तिजनक डेटा है के साथ ही 08 मोबाइल फोन, $1800 यू.एस बरामद किया गया है.
आरोपी व्यक्तियों का प्रोफ़ाइल:
1- रसेल बांग्लादेश के मूल निवासी हैं और 12वीं तक पढ़ाई की है. वह 2019 में भारत आए और एक बांग्लादेशी मरीज को अपनी किडनी दान कर दी. किडनी की सर्जरी के बाद उसने यह रैकेट शुरू किया. वह इस रैकेट का सरगना है और विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित करता है. एक प्रत्यारोपण पर आम तौर पर 25-30 लाख रुपये का खर्च आता है.
2- मोहम्मद सुमोन मियां बांग्लादेश के मूल निवासी हैं और 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। आरोपी, आरोपी रसेल का बहनोई है और वर्ष 2024 में भारत आया था और तब से वह रसेल के साथ उसकी अवैध गतिविधि में शामिल हो गया. वह किडनी रोगियों के पैथोलॉजिकल परीक्षणों का ध्यान रखते हैं. रसेल ने उन्हें प्रत्येक मरीज/दाता के लिए ₹20,000 का भुगतान किया.
3- मोहम्मद रोकोन/ राहुल सरकार/ बिजय मंडल बांग्लादेश के मूल निवासी हैं और 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. वह वही है जो रसेल के निर्देश पर किडनी दाताओं और मरीजों के नकली/जाली दस्तावेज तैयार करता था. रसेल ने उसे प्रत्येक एन के लिए ₹ 30,000 का भुगतान किया. उसने 2019 में एक बांग्लादेशी नागरिक को अपनी किडनी भी दान की थी.
4- रतेश पाल त्रिपुरा से है और उसने 12वीं तक पढ़ाई की है. रसेल उन्हें प्रत्येक मरीज/दाता के लिए ₹20,000 का भुगतान करता था.
5- शारिक ने बीएससी तक पढ़ाई की है. मेडिकल लैब तकनीशियन और यूपी का निवासी है. वह रोगियों और दाताओं की प्रत्यारोपण फ़ाइलों के प्रसंस्करण के संबंध में निजी सहायक विक्रम और डॉ. विजया राजकुमारी के साथ समन्वय करता था.
6- विक्रम ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और वह उत्तराखंड के मूल निवासी हैं, वर्तमान में हरियाणा के फरीदाबाद में रहता है. वह आरोपी डॉ. डी विजया राजकुमारी का सहायक है.
7- डॉ. विजया राजकुमारी दो हॉस्पिटल में किडनी सर्जन और विजिटिंग कंसल्टेंट हैं.