बिहार विधानसभा के बाहर विपक्ष का हंगामा जारी : महेश्वर हजारी बने बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष

डॉ. निशा सिंह

बिहार विधानसभा में आज भी हंगामे जैसे ही हालात अब भी बने हुए हैं. बिना विपक्ष के विधानसभा की कार्यवाही जारी है. दूसरी तरफ बाहर विपक्षी विधायकों ने समानान्‍तर सत्र चलाना शुरू कर दिया है. उन्‍होंने विधानसभा में अपने उपाध्‍यक्ष पद के उम्‍मीदवार भूदेव चौधरी को अध्‍यक्ष चुन लिया है. वो आगे ‘मुख्‍यमंत्री’ चुनने की भी बात कर रहे हैं. गौरतलब है कि कल बिहार विधानसभा में सशस्त्र पुलिस बल विधेयक 2021 को लेकर भारी हंगामा हुआ था. यहां तक कि स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी. किसी भी स्थिति में विधेयक को पास होने से रोकने की जिद पर अड़े राजद और कांग्रेस के विधायकों के खिलाफ पुलिसकर्मियों ने बल-प्रयोग भी किया था.

आज विधानसभा में पारित हो चुके सशस्त्र पुलिस बल विधेयक 2021 को सरकार आज विधान परिषद में पेश करने जा रही है. विपक्ष ने विधान परिषद में कार्य स्‍थगन प्रस्‍ताव पेश करने की घोषणा कर दी है. कल के हंगामे को दोहराए जाने की आशंका के मद्देनज़र विधानमंडल परिसर को पुलिस छावनी में तब्‍दील कर दिया गया है. गौरतलब है कि कल विधानसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था. बात इतनी बढ़ी कि विधानसभा में पुलिस बुलाकर विपक्षी विधायकों को जबरन घसीट कर बाहर निकालना पड़ा. इसके बाद सदन में विधेयक पास हो गया. आज बजट सत्र के अंतिम दिन इस विधेयक को विधान परिषद में पास कराने की तैयारी है. बिहार सशस्त्र पुलिस बल विधेयक 2021 को लेकर आज विधानपरिषद में भी हंगामे के आसार हैं. विपक्ष पहले ही इस विधेयक के खिलाफ कार्य स्‍थगन प्रस्‍ताव लाने की घोषणा कर चुका है. कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने कार्य स्‍थगन प्रस्‍ताव लाने की घोषणा की है.

महेश्वर हजारी बने बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष

जदयू विधायक महेश्वर हजारी बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष बने. बुधवार को हुए मतदान में महेश्वर हजारी के पक्ष में 124 वोट मिले, जबकि विपक्ष इस दौरान अनुपस्थित रहा. बिहार विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से महेश्वर हजारी तथा महागठबंधन की ओर से राजद विधायक भूदेव चौधरी ने मंगलवार को नामांकन-पत्र दाखिल किया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में विधानसभा सचिव के कक्ष में महेश्वर हजारी ने नामांकन भरा था. मालूम हो कि महेश्वर हजारी वर्ष 2005 से लगातार विधानसभा का चुनाव जीतते आ रहे हैं. वे बिहार सरकार में कई विभागों के मंत्री भी रहे हैं. वहीं भूदेव चौधरी वर्ष 2009 में जमुई से सांसद बने थे.

‘बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021’ पर क्यों मचा है बवाल

इस विधेयक का उद्देश्य राज्य के विकास एवं व्यापक हित में वर्तमान में कार्यरत बीएमपी को समर्पित, कुशल प्रशिक्षित, पूर्णत: सुसज्जित और बहुज्ञानक्षेत्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में विकसित करना है. यह विधेयक किसी नए पुलिस बिल के गठन का प्रस्ताव नहीं करता है, बल्कि पिछले 129 सालों से कार्यरत बिहार सैन्य पुलिस (बीएमपी) को विशेष सशस्त्र पुलिस बल के रूप में पुनर्नामांकित करते हुए उसे सुदृढ़ बनाने की कोशिश है.

यूपी, बंगाल और ओडिशा के बाद बिहार ने लाया विधेयक

तीन राज्य व नेपाल के साथ बिहार के जुड़े होने के कारण बिहार में एक सशस्त्र पुलिस बल की जरूरत महसूस की जा रही थी. बंगाल, ओडिशा और यूपी के बाद बिहार ने भी इस विधेयक को लाया. इससे राज्य की आंतरिक सुरक्षा मजबूत होगी और केंद्रीय पुलिस बल पर निर्भरता कम होगी. साल 2010 में केंद्रीय बल की 23 कंपनियां थी. अभी यह 45 हो चुकी है. इससे राज्य को अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे थे. बीएमपी के बदले नया सशस्त्र बल बनने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. पहले से ही राज्य में जिला पुलिस बल व सशस्त्र पुलिस बल मौजूद है. एक शताब्दी के अपने सुविख्यात अस्तित्व के दौरान बीएमपी ने अपनी कार्यपद्धति से अलग कार्य संस्कृति विकसित की है. इसी को आगे बढ़ाते हुए सशक्त पुलिस बल बनाया जा रहा है.

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