कोयलांचल में ऑनलाइन सट्टेबाजी, गंदा है पर धंधा है ये!

Online Betting in Coalfield

शिवपूजन सिंह :

कोयलांचल में इन दिनों ऑनलाइन सट्टेबाजी का गंदा खेल खूब जमकर हो रहा है. दिन पर दिन इसकी जड़े गहरी होती जा रही है. बेखौफ सट्टेबाजी का खेल खेलाने वाले रातों रात मालामाल बन रहे हैं. वही चंद पैसों के लालच में कई लोग बर्बाद हो रहे हैं. चिंताजनक बात तो ये है कि महज कुछ पैसे के लिए युवा और मासूम बच्चे अपने माता-पिता की मेहनत की कमाई लूटा रहे हैं, इससे जहां एकतरफ बचपन बर्बाद हो रहा है, तो दूसरी तरफ युवाओं की हंसती-खेलती जिंदगी तबाह हो रही है.

हालात तो ये पनपने लगे है कि कई मासूम पैसे गंवाने के बाद जान देने से भी नहीं हिचक रहे हैं. पिछले साल दुग्दा इलाके में इसी ऑनलाइन जुऑ के चलते एक नौवजवान ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली थी. खुदकुशी के कई मामले अक्सर आते रहते हैं, लेकिन मामला उजागर नहीं होता, दबा-छिपा दिया जाता है, जो समय के साथ ओझल हो जाता है. कुछ दिन पहले ही मध्यप्रदेश के छतरपुर में 40 हजार रुपया गंवाने के बाद एक बच्चे ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. उसने सुसाइड नोट लिखकर, अपनी मां से माफी मांगी थी. देश में इसे लेकर एकबार फिर बहस तेज हो गई कि इस तबाही के खेल को बंद किया जाना चाहिए. दरएसल ऑनलाइन सट्टेबाजी में शिकस्त झेलने के बाद तो हालात और बदतर हो जाती है. बच्चे चोरी, पॉकेटमारी और जुर्म करने से भी परहेज नहीं करते हैं. कभी-कभी तो अभिभावकों को इसकी भनक भी नहीं लगती, तब तक काफी देर हो चुकी रहती है, क्योंकि उनका लाडला अच्छा-खासा पैसा गंवा चुका होता है. यह एक ऐसी अंधेरी सुरंग या फिर मकड़ाजाल है, जिसमें एक बार घुसने या फिर फंसने के बाद निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है.

सट्टेबाजी गिरोह बेखौफ और खुलेआम घूम रहा है

सट्टेबाजी का ये लालची खेल धनबाद के चिरकुंड, झरिया, गोविंदपुर, निरसा, भूली में बेजोड़ फलफूल रहा है. वही बेरमो के दुग्दा, फुसरो, जरीडीह, कथारा, गोमिया में तो पूरा रैकेट चल रहा है. सबसे अचरज की बात तो ये है कि सट्टेबाजी गिरोह बेखौफ और खुलेआम इसे खेला रहे हैं. न उन्हें पुलिस का डर दिखता है और न ही प्रशासन की फ्रिक है.

पुलिस-प्रशासन भी इसे लेकर उतना चौकस और चुस्त-दुरुस्त नहीं दिखता है. अगर प्रशासन को इसकी चिंता रहती, तो इस पर शिकंजा जरुर कसता, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं है.
जुऑ खेलना अपराध माना जाता है, आए दिन पुलिस जुआरियों को पकड़ते भी रहती है, लेकिन सवाल है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी खेलाने वालों पर क्यों कार्रवाई नहीं करती ?


क्रिकेट में आईपीएल का सीजन में धंधा विस्फोटक होता है

ऑनलाइन जुऑ क्रिकेट में खूब देखने को मिलता है. खासकर जब आईपीएल का सीजन शुरु होता है. इस जुए के चक्कर में भद्रजनों का खेल माने जाने वाला क्रिकेट, अब खेल नहीं रह गया, जो एक दशक पहले हुआ करता था. अब ये सट्टेबाजी का अड्डा बना गया है, जहां हरेक रन, चौके, छक्के और विकेट पर कोई पैसा कमाता और गंवाता है. क्रिकेट के अलावा ऑनलाइन ताश, लुडो, रमी, पोकर जैसे कई खेल खेलाया जाता है, जहां पैसे लगते हैं.

आपको याद होगा पिछले साल तक ब्लू व्हैल गेम ने क्या तबाही मचाई थी. यह मौत का खेल था, कई बच्चे इस खेल के चक्कर में मौत के आगोश में समा गये. इस खेल के नियम के मुताबिक आखिरी पड़ाव में बच्चे को जान देना पड़ता था. लिहाजा, बच्चे छत से कूदकर, फांसी लगाकर या रेलवे ट्रेक में ट्रेन से कटकर जान दे देते थे. काफी हो हल्ला मचने के बाद केन्द्र सरकार को दखल देना पड़ा था, तब जाकर इस खूनी खेल पर लगाम लगी थी. आज इस डरावने खेल का खौफ तो कम हुआ है, लेकिन ऐसे कई ऑनलाइन खेल मौजूद है, जो बच्चों से पैसे लेकर खेल खेलाते हैं. इसके चलते ऑनलाइन ट्राजेक्शन में हेराफेरी होती है. इसमें एटीएम कार्ड से एक बार ट्राजेक्शन के बाद, दुबारा खेलने पर पैसा अपने-आप बैंक अकाउंट से कट जाता है. ऐसी कई शिकायतें भी सामने आई है.

बेटिंग और गैंबलिंग की पाबंदी के लिए बने कानून

अब कानून की नजर से समझते हैं कि आखिर असली मसला क्या है और क्यों सबकुछ जानकर भी सब अनजान और चुप हैं? दरअसल, बेटिंग और गैंबलिंग की पाबंदी के लिए पहला कानून 1867 में सार्वजनिक जुऑ अधिनियम बना था, जिसमें बताया गया था कि जुऑ किसी भी स्थान पर खेलना गैरकानूनी है, लेकिन इसके बाद कभी इस कानून में सुधार या फिर कहे अपडेट नहीं किया गया. इसके चलते ही यह परिभाषित नहीं हो सका कि आखिर जुऑ क्या है ? इसी का फायदा ऑनलाइन गैंबलिंग या फिर कहे सट्टेबाजी गिरोह उठा रहा हैं, जबकि असल में ये जुऑ का ऑनलाइन मोड है. इसके अलावा राज्यों के अपने-अपने कानून है, कहीं लॉटरी खेलना कानूनी है, तो कहीं गैरकानूनी, जैसे गोआ में जुऑ खेलना जुर्म नहीं है, वहां बड़े-बड़े होटल्स में रात भर केसिनों चलते हैं. वही, सिक्किम में 2009 से जुआ खेलने को कानूनी मान्यता मिल गई है. वही, भारत में घुड़दौड़ को जुआ अधिनियम से मुक्त कर दिया गया था, क्योंकि इसमें दाव लगाना एक कौशल आधारित गतिविधि के तौर पर माना जाता है.

कुछ दिन पहले ही मद्रास हाईकोर्ट ने 2021 के तमिलनाडु गेमिंग और पुलिस कानून अधिनियम को रद्द कर दिया. इस कानून के तहत राज्य में रमी और पोकर जैसे ऑनलाइन सट्टेबाजी के खेल पर पाबंदी लगा दी थी. कोर्ट ने इसे कौशल आधारित खेल माना, जबकि तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट से कहा कि 25 से 30 साल के युवा ऑनलाइन सट्टेबाजी के चलते अपनी कमाई और बचत गंवा रहे हैं. इधर, ऑनलाइन सट्टेबाजी को रोकने के लिए राजस्थान सरकार भी नए सिरे से विधेयक लाने की तैयारी में है.

एक बात तो साफ है कि कानून में नरमी के चलते ही ये गंदा धंधा कुकुरमुत्ते की तरह पनपते ही जा रहा है. सभी लोग इससे परेशान-परेशान हैं. इसके चलते कहीं सरकारें विधेयक लाने की तैयारी में है, तो कोई इसे कोर्ट में चुनौती दे रहा है.

लेकिन, इन सबसे हटकर खुद से सवाल पूछे कि क्या ऑनलाइन सट्टेबाजी सही चीज है ? क्या इससे किसी बच्चे और नौजवान का भविष्य संवर सकता है ? क्या इससे नियमित पैसा कमाया जा सकता है ? तो इसका सीधा-सरल सा जवाब होगा कि कतई नहीं. ये खेल बर्बादी, अंधकार और जीते जी मौत का है. जहां खेलने वाला नहीं, बल्कि खेलाने वाला अमीर बनता है. इसे जल्द से जल्द रोकना चाहिए, क्योंकि ये जुऑ का ऑफलाइन नहीं ऑनलाइन मोड है. राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को इस पर सख्त कदम उठाना चाहिए और कानून बनाकर इस गंदे धंधे पर नकेल कसनी चाहिए.

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