One Nation One Election: संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक में लॉ मिनिस्ट्री ने डेमो दिखाया

ELECTION IN INDIA : One Nation, One Election

दिल्ली : लोकसभा चुनावों के साथ के साथ सभी विधानसभाओं के चुनाव कराने के लिए एक देश एक चुनाव से संबंधित संविधान (129वां) संशोधन विधेयक और इससे जुड़े एक अन्य विधेयक को केंद्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया था. “एक राष्ट्र, एक चुनाव” को लेकर आज दिल्ली में जेपीसी की पहली बैठक हुई. यह बैठक समीक्षा करने के लिए बुलाई गई. बैठक का मुख्य उद्देश्य सदस्यों को इन दो प्रमुख विधेयकों से परिचित कराना है. बैठक में कानून और न्याय मंत्रालय के अधिकारी प्रस्तावित कानूनों के प्रावधानों पर जानकारी दी है.

आपको बता दें कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” विधेयक को 17 दिसंबर-2024 को लोकसभा में पेश किया गया था. जेपीसी की अध्यक्षता भाजपा के सांसद पी.पी. चौधरी कर रहे हैं. इस समिति में कुल 39 सदस्य हैं, जिनमें 27 लोकसभा और 12 राज्यसभा से हैं. जेपीसी का मुख्य कार्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने की व्यवहार्यता और योजना की जांच करना होगा. इसके अलावा, यह समिति पुडुचेरी, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ मिलाकर कराने के प्रस्तावों का भी मूल्यांकन करेगी.

जेपीसी के सदस्यों में कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, भाजपा के अनुराग ठाकुर और अनिल बलूनी, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव जैसे विपक्षी नेता भी शामिल हैं. समिति की चर्चाएं और सिफारिशें भारत की चुनावी प्रक्रिया के भविष्य को प्रभावित करेंगी.

करीब 90 मिनट तक चली बहस के बाद, कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने लोकसभा में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक पेश किया था. मतों के विभाजन में 269 सांसदों ने पक्ष में और 198 ने इसके खिलाफ वोट किया. इसके बाद विधेयक को आगे की जांच के लिए समिति के पास भेज दिया गया. समिति में लोकसभा सांसद पी.पी. चौधरी, सी. एम. रमेश, बांसुरी स्वराज, परषोत्तम रूपाला, अनुराग सिंह ठाकुर, विष्णु दयाल राम, भर्तृहरि महताब, संबित पात्रा, अनिल बलूनी, विष्णु दत्त शर्मा, प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, सुखदेव भगत, धर्मेंद्र यादव, कल्याण बनर्जी, टी. एम. सेल्वगणपति, जी.एम. हरीश बालयोगी, सुप्रिया सुले, श्रीकांत शिंदे, चंदन चौहान और बालाशोवरी वल्लभनेनी शामिल हैं.

केंद्र सरकार का तर्क है कि एक साथ चुनाव कराने से शासन में सुधार होगा और लागत कम होगी, जबकि विपक्षी दलों को इसके संघीय ढांचे पर असर को लेकर चिंता है. जेपीसी इन चिंताओं को दूर करने और इस ऐतिहासिक चुनाव सुधार पर आम सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

आखिरी बार 1967 में देश में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के तत्कालीन फॉर्मेट के तहत चुनाव हुए. तब उत्तर प्रदेश (जिसे पहले यूनाइटेड प्रोविंस कहते थे) को छोड़कर पूरे देश में एक चरण में चुनाव हुए. यूपी में उस वक्त भी 4 चरण में चुनाव कराने पड़े थे. 1967 का इलेक्शन आजादी के बाद चौथा चुनाव था. तब 520 लोकसभा सीटों और 3563 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले गए थे. इस वक्त तक सत्ता में केवल कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद न सिर्फ इंदिरा गांधी को सहयोगियों के विरोध से जूझना पड़ रहा था, बल्कि कांग्रेस के खिलाफ देश में भी विरोधी लहर चलने लगी थी.

Jetline

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