दिल्ली : लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ करवाने का रास्ता लगभग अब साफ हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने एक देश एक चुनाव बिल को मंजूरी दे दी है. सरकार इस बिल को अगले हफ्ते संसद में पेश कर सकती है. इससे पहले कैबिनेट ने राम नाथ कोविंद समिति द्वारा इस पर बनाई गई रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। सूत्रों के मुताबिक विधेयक को विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजे जाने की संभावना है.
आपको बता दें कि चुनावों को एक साथ करने का प्रस्ताव भारतीय जनता पार्टी के 2024 के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा था और इसे पीएम मोदी का समर्थन मिला है, लेकिन कई राजनीतिक दलों ने इसका कड़ा विरोध किया है. इस वर्ष सितंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी थी, जिसमें पूरे भारत में एक साथ चुनाव कराने की बात कही गई थी. करीब 18,000 पेजों वाली कोविंद रिपोर्ट में चुनावों को एक साथ कराने के लिए चरणबद्ध दृष्टिकोण की रूपरेखा तैयार की गई थी, जिसकी शुरुआत सबसे पहले लोकसभा और राज्य विधानसभाओं से की जानी थी, उसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने थे.
आखिरी बार भारत में कब हुए थे एक साथ चुनाव
1950 में गणतंत्र बनने के बाद भारत में 1951 से 1967 तक हर पांच साल में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव आयोजित किये गये हैं. सन 1952, 1957, 1962 और 1967 में केंद्र और राज्य दोनों के लिए एक साथ वोट डाला था. हालांकि, कुछ पुराने राज्यों के पुनर्गठन और नए राज्यों के उदय के साथ यह प्रक्रिया 1968-69 में पूरी तरह से बंद हो गई.
बर्ष 1983 में चुनाव आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में एक साथ चुनाव फिर से शुरू करने का सुझाव दिया था. 1999 में विधि आयोग की रिपोर्ट में भी इस अभ्यास का उल्लेख किया गया था. वर्तमान में दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, बेल्जियम, जर्मनी, जापान, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे कई देशों में एक साथ चुनाव होते हैं.
