पटना : मुन्ना शर्मा
राजनीति में मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले स्वर्गीय रामविलास पासवान और जीतन राम मांझी समय के अनुसार पाला बदल देतें हैं. नीतीश कुमार एक दफे मांझी पर विश्वास करके मुख्यमंत्री की कुर्सी भी सौप दिया था। मगर लालू यादव के प्रभाव में आकर मांझी -नीतिश को दरकिनार करने लगे। नतीजा मांझी की कुर्सी गयी। अब फिर नितीश कुमार के साथ मांझी खरे हैं. लेकिन ताजा हालात ये है की मांझी कभी भी फिर पलटी मार सकतें हैं।
क्या बिहार में एक बार फिर राजनितिक उथल-पुथल होने वाला है। लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने आज जीतनराम मांझी के घर पहुंचकर दिल्ली में रह रहे अपने पिता लालू यादव से फ़ोन पर मांझी की बात करा दी। लालू यादव और जीतन राम मांझी की 12 मिनट की सियासी गुफ्तगू का मतलब कई मतलब सियासी मायने लगाए जा रहे हैं। क्या बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और राजद राजद के बीच कोई नया समीकरण बन रहा है। पिछले कुछ दिनों से जीतनराम मांझी एनडीए और भाजपा को लेकर हमलावर रुख अख्तियार किए हुए हैं उससे पटना के सियासी गलियारों में लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं कि मांझी कोई नई खिचड़ी पका रहे हैं।
आपको बता दें कि जीतन मांझी और मुकेश साहनी के चार-चार विधायको के कंधे पर नीतीश सरकार टिकी हुई है। बीते दिनों पहले जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी की गुप्त बैठक हुई। फिर लगातार मांझी बीजेपी के खिलाफ बयान दे रहे हैं। लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव जीतन राम मांझी को महागठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया और फिर लालू का संदेशा लेकर पटना में मांझी से मिलने पहुंचे। तेजप्रताप यादव – मांझी की बात 12 मिनट तक अपने पिता लालू यादव से कराते हैं। अब ये 12 मिनट अगले 12 दिनों या 12 महीनो में क्या सियासत अपना रंग बदल सकती है ? राजनीतक पंडित ने कहा कि सवाल ये है कि लालू यादव ने मांझी से 12 मिनट तक क्या बात की ? मांझी से सिर्फ जनमदिन की बधाई के अलावे बिहार में बदलते राजनतिक माहौल पर बाते हुई होगी.
दिल्ली में सूत्रों के मुताबिक लालू यादव ने मांझी को महागठबंधन में आने का आफर दिया है। मांझी को सरकार का नेतृत्व संभालने तक का आफर है और इसके लिये मुकेश साहनी को भी राजी करने का टास्क दिया है। जीतन राम मांझी और साहनी दोनों को आगामी एमएलसी के 24 सीटों पर होने वाले चुनाव में अच्छी संख्या में सीट देने का भी आफर दिया गया है। हालांकि लालू यादव से बातचीत के दौरान मांझी ने लालू और नीतीश को फिर से साथ आने का जिक्र किया है । हालांकि लालू प्रसाद यादव के लिये बिना नीतीश के सरकार बनाना या बिगड़ना इतना आसान नहीं होगा। क्योंकि नीतीश कुमार ने दो दो निर्दलीय एक बसपा और एक एलजेपी विधायक को अपने साथ ला चुके हैं। ऐसे में अगर मांझी-साहनी अपने आठ विधायकों को लेकर अलग होते हैं तो उधर तैयारी ये भी की कुछ नाराज राजद और कांग्रेस विधायकों को इस्तीफा दिलवाकर बहुमत का आंकड़ा कम किया जा सकता है।
सियासी पलटी मारने में वैसे भी जीतनराम मांझी का कोई जबाब नहीं है। पहले नीतीश के घर फिर लालू के दरवाजे फिर नीतीश के यहाँ घर वापसी और अब फिर लालू से 12 मिनट की बातचीत बिहार की राजनीति के लिये महत्वपूर्ण है।