नीतीश कुमार सभी लोगों को साथ लेकर चलेंगे : इंजीनियर नरेंद्र सिंह

सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनें नीतीश कुमार शुरू से विकास के एजेंडे को प्राथमिकता देते रहे हैं. गठबंधन की राजनीति में भी उनका एजेंडा बिल्कुल क्लियर है. सभी को साथ लेकर चलने वाले नीतीश कुमार के मिशन को कोई डिगा नहीं सकता है. नीतीश कुमार के सहपाठी, दोस्त और जेडीयू के उपाध्यक्ष इंजीनियर नरेंद्र सिंह मानते हैं कि नीतीश कुमार की सोच बिहार के विकास के लिए बेहतर है. निशा कुमारी से खास बातचीत में इंजीनियर नरेंद्र सिंह ने नीतीश कुमार के अगले पांच सालों की रणनीति के साथ ही उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को बताया है. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश….

प्रश्न : नीतीश कुमार आज सातवीं बार मुख्यमंत्री पद का शपथ ले चुके हैं, आखिर वह कैसा बिहार बनाने का इस बार संकल्प लेकर आए हैं ?

उत्तर : जहां तक सवाल है कि सातवीं बार सीएम बने हैं सर्वप्रथम मैंने उन्हें बधाई दिया है और मुख्यमंत्री ने मुझे भी बधाई दिया है. आगे के बारे में विशेष वार्ता तो नहीं हुई है, लेकिन हमारे 53 वर्षों के राजनीतिक और व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि यह 5 साल का जो पीरियड होगा, उसमें जो बचे हुए कार्य हैं या योजनाएं हैं, चाहे वह सड़क योजना है, चाहे नल जल योजना है या कोई और योजना उनको पूरा किया जाएगा. नीतीश कुमार हमेशा से समरसता समतामूलक समाज की स्थापना की सोच रखते हैं, इसलिए किसी भी जाति या धर्म के लोग हों नीतीश कुमार सबके लिए काम करेंगे.

प्रश्न : नीतीश कुमार के आप दोस्त रहे हैं और आगे भी रहेंगे तो आपकी दोस्ती उनसे कैसे और कब हुई ? यह दोस्ती कैसे आगे बढ़ी ?

उत्तर : नीतीश कुमार से मेरी दोस्ती 1967 में तब हुई जब बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज, पटना में हमारा एडमिशन हुआ. मैंने और नीतीश जी दोनों ने इलेक्ट्रिकल ब्रांच में एक साथ एडमिशन लिया था और उसी क्रम में हमारी दोस्ती हुई थी. इलेक्ट्रिकल ब्रांच में हम तीन करीबी दोस्त थे – मैं, नीतीश कुमार और अरुण सिन्हा, जो अभी नवहिंद टाइम्स, गोवा में एडिटर हैं. इसके अलावा दूसरे ब्रांच के दोस्त कौशल मिश्रा, आदित्य प्रकाश मिश्रा, उदय कांत मिश्रा भी थे. आज हमारी नि:स्वार्थ दोस्ती को 53 वर्ष हो चुके हैं और आगे भी कायम रहेगा.

प्रश्न : नीतीश कुमार इंजीनियरिंग से राजनीति में कैसे आए ?

उत्तर : नीतीश कुमार की शुरू से ही अखबारों में रुचि थी ‘दिनमान’ उनका फेवरेट समाचार पत्र था और वो लोहिया के विचारों से प्रभावित थे. उसी समय नीतीश कुमार बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पटना के यूनियन के अध्यक्ष चुने गए थे और वहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शरूआत हुई थी. इसी दौरान लालू यादव जो लॉ कॉलेज के स्टूडेंट थे, वो पटना यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष चुने गए और सुशील मोदी महासचिव चुने गए, चूंकि पटना यूनिवर्सिटी हमारे कॉलेज के पास ही था तो वहां आना-जाना लगा रहता था और नीतीश कुमार की राजनीति में रुचि बढ़ती गई.

प्रश्न : नीतीश कुमार ने अब तक के अपने शासनकाल में सभी वर्गों और धर्मों के लोगों के लिए काम किया है, लेकिन इस बार अल्पसंख्यकों ने सीधे राजद को वोट दिया है, इसका क्या असर होगा ?

उत्तर : नीतीश कुमार ने शुरू से ही सभी वर्गों के लिए काम किया है और आगे भी वह सभी के लिए काम करेंगे. चाहे कोई धर्म या जाति विशेष के लोग वोट दे या ना दे, लेकिन नीतीश कुमार की सरकार सभी के हितों के लिए काम करेगी और सबको साथ लेकर विकास के राह पर आगे का सफर तय करेगी.

प्रश्न : मुख्यमंत्री बनने से पहले से लेकर आज तक उनके दोस्ती के बीच में क्या परिवर्तन आया ?

उत्तर : मैं तो शुरू से लेकर आज तक दोस्त के रूप में उनके साथ रहा हूं. आज भी हमारा रिश्ता दोस्ती का ही है. राजनीतिक रूप में मैं तीन बार चुनाव भी लड़ा हूं, लेकिन सफलता नहीं मिली. हालांकि बिहार सवर्ण आयोग के सदस्य के रूप में 5 साल से अधिक समय तक मैं काम करता रहा हूं और हमारी अनुशंसाओं के आधार पर सवर्णों को स्कॉलरशिप और अन्य सुविधाएं दी गई हैं. नीतीश कुमार ने हमारी अनुशंसाओं को तुरंत लागू कर दिया था.

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