नागपुर : वरिष्ठ संवाददाता
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के 96वें स्थापना दिवस के मौके पर देश की बढ़ती जनसंख्या से लेकर ड्रग्स तस्करी, सीमा पर घुसपैठ और सोशल मीडिया के खतरे से देश को आगाह किया. उन्होंने कहा कि हम ऐसी संस्कृति नहीं चाहते हैं जो विभाजन को चौड़ा करे, बल्कि ऐसी संस्कृति हो जो राष्ट्र को एक साथ बांधे और प्रेम को बढ़ावा दे. नई पीढ़ी को इतिहास जानना चाहिए. स्वतंत्रता के साथ ही हमें विभाजन का दर्द भी मिला है.
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि बढ़ती आबादी से देश में कई तरह की परेशानियां हैं. इसलिए जनसंख्या नीति पर दोबारा विचार की जरूरत है. उन्होंने कहा-
“जनसंख्या नीति होनी चाहिए. हमें ऐसा लगता है कि इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए. पचास साल आगे तक का विचार कर एक नीति बनानी चाहिए और उस नीति को सब पर समान रूप से लागू करना चाहिए, क्योंकि देश और दुनिया में जैसे जनसंख्या समस्या बन रही है उसी तरह जनसंख्या का असंतुलन भी समस्या बन रही है. इसमें किसी के प्रति बुरा भाव नहीं है.”
मोहन भागवत ने कहा कि मंदिरों की जमीन बेची गई है. मंदिरों की संपत्ति हड़पी जाती है. जिन लोगों को हिंदू देवी देवताओं पर श्रद्धा नहीं है, उनके लिए हिंदू मंदिरों की संपत्ति का इस्तेमाल किया जाता है. हिंदुओं को भी आवश्यकता है, वह संपत्ति उनपर नहीं लगाई जाए. सीमा पार से अवैध घुसपैठ पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जाए. राष्ट्रीय नागरिक पत्रिका का निर्माण कर इन घुसपैठियों को नागरिकता के अधिकारों से वंचित किया जाए. उन्होंने कहा कि -जनसंख्या नीति पर एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए. 50 साल आगे तक का विचार कर नीति बनानी चाहिए और उस नीति को सभी पर समान रूप से लागू करना चाहिए, जनसंख्या का असंतुलन देश और दुनिया में एक समस्या बन रही है.
भागवत ने आगे कहा कि विभिन्न जातियों, समुदायों और विभिन्न क्षेत्रों के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता के लिए महान बलिदान और तपस्या की. समाज ने भी इन बहादुर आत्माओं के साथ एक एकीकृत इकाई के रूप में गुलामी का दंश सहा. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से सीखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया आग में घी डालने का काम कर रहा है. भारत में अराजकता फैलाने का काम हो रहा है. विजयदशमी के अवसर पर RSS ने नागपुर में अपने मुख्यालय में “शस्त्र पूजन” किया. इस दौरान मंच पर RSS प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे.