दिल्ली : वरिष्ठ संवाददाता
नेशनल मेडिकल कमीशन (National Medical Commission) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए गाइडलाइन जारी कर दिया, जिसके मुताबिक मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों (Medical Students) को अब सरकारी दरों पर ही प्राईवेट मेडिकल कॉलेजों में पढ़नेका मौका मिलेगा. एनएमसी ने कहा है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों की फीस (Medical College Fees) अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस के बराबर ही होगी. सरकारी कोटा से एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स को इसका लाभ मिलेगा और अगर कोटा के तहत दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 50 फीसदी से कम होगी, तो अन्य छात्रों को इसका लाभ दिया जाएगा.
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट 2019 (National Medical Commission Act 2019) के अंतर्गत आयोग निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों के लिए फीस और अन्य दिशा-निर्देश जारी करेगा और इस एक्ट से शासित होने वाले सभी मेडिकल कॉलेजों पर उसके दिशा-निर्देश (Medical College Fees Guidelines) लागू होंगे.
Fees of 50% seats in private medical colleges will now be at par with Govt Medical colleges of a state/UT: National Medical Commission pic.twitter.com/d06vGiXR6b
— ANI (@ANI) February 5, 2022
एनएमसी के मेमोरेंडरम के अनुसार केंद्र सरकार के आग्रह पर एमसीआई (Medical Council of India) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने फीस तय करने संबंधी गाइडलाइन तैयार कर दिए हैं. 29 नवंबर 2019 को इस संबंध में एक एक्सपर्ट कमेटी (Expert Committee) का गठन किया गया था. इस एक्सपर्ट कमेटी ने एमबीबीएस (MBBS) और पोस्ट ग्रेजुएट (Post Graduate) कोर्स की फीस को लेकर अपनी सिफारिशों पर लोगों से राय मांगी थी. 21 अक्टूबर 2021 को एनएमसी ने एक्सपर्ट कमेटी का पुनर्गठन किया. कमेटी ने 1800 लोगों के विचारों का अध्ययन कर एक संशोधित ड्राफ्ट गाइडलाइन तैयार की और 29 दिसंबर 2021 को कमेटी की इन सिफारिशों को एनएमसी ने स्वीकार कर लिया.
एक्सपर्ट कमेटी की प्रमुख सिफारिश
एक्सपर्ट कमेटी की प्रमुख सिफारिशें दी थीं कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड यूनिवर्सिटी की 50 फीसदी मेडिकल की सीटों की फीस उस राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेज की फीस के बराबर होनी चाहिए और सरकारी कोटा से एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स को इसका लाभ मिले. अगर कोटा के तहत दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 50 फीसदी से कम रह जाती है, तो अन्य छात्रों को इसका लाभ दिया जाए.