प्रयागराज में आज से डेढ़ महीने का माघ मेला हुआ शुरू, स्नान की तिथियों से लेकर कल्पवास के नियम जानें

Magh Mela 2023 Starts in Prayagraj

वरिष्ठ संवाददाता

प्रयागराज में 6 जनवरी यानी आज से माघ पूर्णिमा के स्नान के साथ गंगा-यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर माघ मेले की शुरुआत हो गई है. इस मेले का समापन 18 फरवरी 2023 को महाशिवरात्रि पर होगा. इस तरह से माघ मेले में डेढ़ माह तक आस्था की डुबकी लगाई जाएगी.

प्रयागराज में होने वाले माघ मेले को अर्ध कुंभ मेला भी कहा जाता है. इसमें 45 दिन तक संगम किनारे ही लोग कल्पवास पर रहते हैं. मान्यता है कि इस दौरान खास तिथियों पर स्नान गंगा में स्नान करने से व्यक्ति पाप मुक्त हो जाता है.

माघ मेला 2023 की प्रमुख तिथियां

06 जनवरी : पौष पूर्णिमा
15 जनवरी : मकर संक्रांति
21 जनवरी : मौनी अमावस्या
05 फरवरी : माघी पूर्णिमा
18 फरवरी : महाशिवरात्रि

आपको बता दें कि हर साल प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले के बारे में मान्यता है कि माघ मेले के 45 दिन सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, और कलयुग के कुल वर्षों की संख्या के बराबर होते हैं. यही वजह है कि इसमें किए गए स्नान-दान, तप, जप से चारों युगों के पुण्य फल प्राप्त होते हैं.

माघ मेले में कल्पवास के नियम क्या है ?

माघ के मेले में कल्पवासियों को संगम किनारे कुटिया बनाकर रहना होता है. इस दौरान कल्पवासियों को जमीन पर सोना होता है और ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है. इसमें एक समय फलाहार या निराहार रहने का प्रावधान है. इस दौरान भोजन भी स्वंय बनाना होता है तथा दिन भर में तीन बार स्नान और पूजन करना होता है. इसके साथ ही अपना सारा समय भगवान की भक्ति में लीन रहना होता है.

मान्यता है कि कल्पवास की शुरुआत करने के बाद इसे 12 सालों तक जारी रखना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार उन्हीं गृहस्थ जीवन वालों को कल्पवास करना चाहिए जो सांसारिक मोह माया से मुक्त हो और जिसपर जिम्मेदारियों का बोझ न हो, क्योंकि इसमें मोक्ष प्राप्ति के लिए त्याग को महत्वपूर्ण माना गया है.
कल्पवासी के चार मुख्य कार्य होते हैं स्नान, तप, हवन और दान.

गौरतलब है कि कल्पवास का मतलब है नियमित समयावधि के लिए के लिए खुद को पूर्ण रूप से ईश्वर के प्रति समर्पित करना. मान्यता है कि नियमपूर्वक कल्पवास करने वाले को मन और इंद्रियों पर नियंत्रण करने की शक्ति प्राप्त होती है. इससे व्यक्ति के सारे सांसारिक तनाव दूर हो जाते हैं और वह मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त होता है.

Jetline

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *