यूपी-एमपी के बाद गुजरात में भी लव जेहाद कानून पारित हुआ

न्यूज डेस्क

उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के बाद गुजरात में भी लव जेहाद कानून पारित हो गया है. गुजरात सरकार ने धर्म परिवर्तन के इरादे से जबरदस्ती से दो धर्मों के लोगों के बीच होने वाले शादियों को रोकने के लिए ‘गुजरात धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम, 2003’ में सुधार करने का फैसला करते हुए आज विधेयक पारित कर दिया. इस कानून के तहत 5 से 7 साल तक की गैर जमानती सजा और 2 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है.

गुजरात विधानसभा में विधेयक को पेश करते समय गृहराज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा में कहा कि

अपने जीवन में आज एक बड़ा काम करने जा रहा हूं. हिन्दू समाज में बेटी दिल का टुकड़ा मानी गयी है. मानो शरीर का एक अंग है, पराई अमानत है. बेटियों को जिहादियों के हाथों में जाने नहीं दिया जा सकता है. बेटियों को कसाईयो के हाथों में जाने से रोकने के लिए राज्य में यह कानून लाया गया है. यह कोई हमारा राजनैतिक एजंडा नहीं है, बल्कि बेटियों को बचाने की कोशिश है.

‘गुजरात धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम, 2003’ के प्रमुख प्रावधान

इस कानून अंतर्गत शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन एक मात्र हेतु होने की बात सिद्ध होने पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी. नए कानून में परिवाद केवल पीड़िता ही नहीं बल्कि पीड़िता के साथ खून के रिश्ते वाला कोई भी व्यक्ति या उसके परिवार वाले भी कर सकते हैं. इतना ही नहीं शादी में मदद करने वालों के खिलाफ भी कानूनी कारवाही की जाएगी, चाहे वह मौलवी, दोस्त, संस्थान, संगठन, आदि कोई भी हो. निष्पक्ष जांच के लिए इन केसों की जांच डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी ही करेंगे. इस कानून के तहत 5 से 7 साल तक की गैर जमानती सजा और 2 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है.

बिल में कहीं भी ‘लव जिहाद’ शब्द का उल्लेख नहीं

यूपी और एमपी के बाद लव जिहाद कानून को पारित करने वाला गुजरात देश का तीसरा राज्य बन गया है. हलांकि इससे पहले ही गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी कह चुके थे कि यूपी की तर्ज पर गुजरात में लव जिहाद के खिलाफ कानून लाया जाएगा. भले ही इस कानून में अधिनियम 2003 में बदलाव के बाद काफी सुधार किए गए, लेकिन बिल में कहीं पर भी ‘लव जिहाद’ शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है.

विपक्ष ने जोरदार विरोध भी किया

इस कानून के पारित होते समय कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला ने बिल पर विरोध दर्शाते हुए बिल की कॉपी फाड़ दी. हालांकि कांग्रेस का विरोध इस बिल को पारित होने से नहीं रोक पाया. दूसरी तरफ सत्ता पक्ष का कहना था कि विपक्ष महिलाओं के अधिकारों का विरोध कर रहा है, क्योंकि इससे महिलाओं को फायदा होगा.

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