डॉ.निशा सिंह
बिहार के तीसरे चरण की 15 जिलों की 78 सीटों पर वोटिंग आज 7 नवंबर को हो रही है. बिहार की सत्ता का फैसला इसी तीसरे और आखिरी चरण में होगा. इस चरण में मुस्लिम बहुल सीमांचल तो यादव बहुल कोसी और ब्राह्मण बहुल मिथिलांचल की सीटों पर मतदान होना है. एक तरह से इस इलाके का चुनाव नीतीश कुमार का सत्ता में वापसी करा देगा या विदाई ये तय करेगा. बिहार तीसरे और अंतिम चरण में कुल 1208 उम्मीदवार मैदान में हैं.
यहाँ एनडीए के सामने अपने अगड़े वोट बैंक को साधे रखने की चुनौती है तो महागठबंधन के सामने अपने कोर वोटबैंक यादव-मुस्लिम को अपने साथ मजबूती से जोड़े रखने की चुनौती है, क्योंकि ओवैसी से लेकर पप्पू यादव तक की नजर इन्हीं दोनों समुदाय के वोटरों पर है.
सीमांचल के 4 जिलों की चाबी मुस्लिमों के हाथ रहती आयी है
सीमांचल के 4 जिलों में 24 विधानसभा सीटें आती हैं, जहां मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका में रहते हैं. किशनगंज में करीब 70 फीसदी, अररिया में 42 फीसदी, कटिहार में 43 फीसदी और पूर्णिया में 38 फीसदी मुसलमान हैं. सीमांचल की 14 सीटों पर AIMIM ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं तो महागठबंधन की ओर से आरजेडी 11, कांग्रेस 11, भाकपा-माले 1 और सीपीएम 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है. वहीं, एनडीए की ओर से बीजेपी 12, जेडीयू 11 और हम एक सीट पर चुनावी किस्मत आजमा रही है.
मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में महागठबंधन का एकछत्र राज रहा है. 2015 के चुनाव में कांग्रेस इस इलाके में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. कांग्रेस ने यहां अकेले 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि जेडीयू को 6 और आरजेडी को 3 सीटें मिली थीं. वहीं बीजेपी को 6 और एक सीट भाकपा माले को गई थी. हालांकि इस बार समीकरण बदल गए हैं और जेडीयू-बीजेपी एक साथ मैदान में उतरी हैं. एलजेपी ने जिस तरह बीजेपी के बागियों को टिकट देकर जेडीयू के खिलाफ उतार रखा हैं. वो एनडीए के लिए टेंशन बना है.
सीमांचल की 24 सीटें जहाँ पर वोटिंग हो रही है
बिहार के तीसरे चरण के चुनाव में सीमांचल की 24 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें नरपतगंज, रानीगंज, फारबिसगंज, अररिया, सिकटी, जोकीहाट, कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी, बरारी, कोढा, बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधामन, कस्बा, बनमनखी, रुपौली, धमदाहा, पूर्णिया, अमौर और बैसी सीट शामिल हैं.
कोसी के इलाके की 13 विधानसभा सीटें में यादव का वोट बैंक निर्णायक
बिहार का कोसी इलाका लगभग हर साल बाढ़ से तबाही का दंश झेलता है. इसी तबाही पर राजनीतिक दल अपनी सियासी फसलें भी काटते रहे हैं. कोसी इलाके में तीन जिले मधेपुरा, सहरसा और सुपौल आते हैं, यहां कुल 13 विधानसभा सीटें हैं. यहां की ज्यादातर सीटों पर एनडीए की ओर से जेडीयू और महागठबंधन की तरफ से आरजेडी मैदान में है. इसके अलावा मधेपुरा और सुपौल में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी उतार रखे हैं, तो सहरसा में बीजेपी भी ताल ठोक रही है. यहां पप्पू यादव भी तीसरी ताकत के रूप में मैदान में हैं, लेकिन पिछली बार सांसद रहते हुए भी वह यहां खाता नहीं खोल सके थे. 2015 के चुनावी नतीजे देखें तो बीजेपी महज एक सीट जीत सकी थी, जबकि आरजेडी ने 4 और जेडीयू ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी.
सीमांचल : CAA-NRC घुसपैठ आखिरी चरण के प्रचार में छाए रहे
इस दौर के प्रचार में सीएए-एनआरसी और घुसपैठ का मुद्दा सबसे ज्यादा छाया रहा. वहीं, पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर बिहार पर खास फोकस किया और भारत माता से लेकर जय श्रीराम और छठी मैया का जिक्र किया, जबकि तेजस्वी यादव कमाई, पढ़ाई, दवाई और सिंचाई का जिक्र हर रैली में करते दिखे.
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घुसपैठ का मुद्दा उठाया और कहा कि बिहार का कटिहार का इलाका भी घुसपैठ की समस्या से त्रस्त है, बिहार में एनडीए की सरकार बनती है तो घुसपैठियों को देश से निकालकर बाहर करेंगे.
बिहार में पीएम मोदी, नीतीश, राहुल, तेजश्वी की कितनी रैली ?
तीसरे चरण में पीएम नरेंद्र मोदी ने दो जनसभाओं को संबोधित किया जबकि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चार रैलियां कीं. जेडीयू की ओर से सीएम नीतीश कुमार ने एक दिन में पांच से चार रैलियों को संबोधित किया, जबकि आरजेडी की तरफ से तेजस्वी यादव ने एक-एक दिन में 12 से 15 रैलियां की हैं. वहीं असदुद्दीन ओवैसी एक दिन में औसतन चार जनसभाएं की. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तीसरे चरण में कुल 12 रैलियों को संबोधित किया.