बिहार चुनाव परिणाम से पहले लालू यादव जेल से बाहर नहीं निकल पाएंगे

प्रतीक सिंह

झारखंड हाईकोर्ट में आज लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर आज सुनवाई होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया है. यानि लालू अभी फ़िलहाल रांची के जेल में ही रहेंगे. चुनाव में तेजस्वी यादव के एलान किया था कि लालू जी को जमानत मिल जाएगी और वो जल्द हीं बाहर आ रहे हैं.

दुमका ट्रेजरी से अवैध निकासी के मामले में लालू यादव आधी सजा काट चुके हैं. इसी आधार पर उन्होंने कोर्ट में जमानत याचिका लगाई है. हाईकोर्ट अगर लालू को ज़मानत दे देता है तो राजद अध्यक्ष का बाहर निकलने का रास्ता साफ हो जाएगा. चारा घोटाले के अन्य मामलों में लालू यादव को पहले ही जमानत मिल चुकी है. फिलहाल लालू प्रसाद रांची के रिम्स में इलाज करा रहे हैं.

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अब तक चार केस में सजायाफ्ता लालू प्रसाद तीन केस में जमानत पा चुके हैं. चौथा केस दुमका ट्रेजरी से जुड़ा हुआ है जिसमें लालू प्रसाद को 24 मार्च 2018 को सीबीआई कोर्ट ने विभिन्न धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई थी.

बहुचर्चित 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े तीन मामलों में सजायाफ्ता लालू प्रसाद न्यायिक हिरासत में रिम्स में पिछले दो वर्ष से अधिक समय से इलाजरत हैं. बिहार चुनाव से ठीक पहले कोरोना संक्रमण की आशंका की बात कह कर उन्हें रिम्स के निदेशक के भव्य बंगले में स्थानांतरित कर दिया गया था जहां राजद प्रमुख लालू पर लगातार बिहार के टिकटार्थियों से मिलने और राजनीतिक मुलाकातें करने के आरोप लगते रहे हैं.

लालू प्रसाद को कितनी सजा सुनाई गई है

रांची की सीबीआई कोर्ट ने लालू को चारा घोटाले के नियमित मामले में RC 20A/96 में दोषी पाया और पांच वर्ष की सजा सुनाई, जबकि 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। देवघर कोषागार से जुड़े RC 64A/96 में दोषी पाया गया और साढ़े तीन वर्ष की सजा सुनाई गई, जबकि 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के संबंध में RC 68A/96 में दोषी पाया गया और पांच वर्ष की सजा सुनाई गई, जबकि 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. दुमका कोषागार से जुड़े मामले में विभिन्न धाराओं में सात-सात वर्ष की सजा सुनाई गई.यह महाघोटाला उस समय सुर्खियों में आया जब चारा घोटाले के संबंध में पश्चिमी सिंहभूम जिले (चाईबासा) के तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने 27 जनवरी 1996 को उजागर किया. बिहार पुलिस ने इसपर केस दर्ज किया और जांच आगे बढ़ाई तो इसके तार लालू प्रसाद यादव और अन्य से जुड़े निकले. बाद में सीबीआई ने इस केस को टेकअप कर जांच शुरू की, जो पिछले 24 वर्षों से चल रहा है.

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